मुंबई: महाराष्ट्र विधानमंडल में सोमवार को राज्यपाल सी.वी. राव के अभिभाषण का गुजराती अनुवाद ऑडियो चलने के बाद सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ा, जिसके बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने विधानसभा में बिना शर्त माफी मांगी। राज्यपाल ने अपने अभिभाषण के तुरंत बाद विधानसभा अध्यक्ष हरिभाऊ बागड़े के साथ इस मुद्दे को उठाया जिसके बाद फड़णवीस ने माफी मांगी।
राव ने अपने पत्र में कहा, "आज सुबह (सोमवार) विधानमंडल के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के दौरान, ऐसा पाया गया कि मेरे अभिभाषण का मराठी में अनुवाद नहीं हो रहा था। मेरा विचार है कि इसे गंभीरता से लेना चाहिए और इस गंभीर गलती के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है।"
उन्होंने अध्यक्ष से मामले में उचित कदम उठाने को भी कहा है और उन्हें इस बाबत सूचित किया है। मामला सामने आने के बाद फड़णवीस उठे और इस भूल के लिए सदन और सदस्यों से बिना शर्त के माफी मांगी। साथ ही उन्होंने इसे एक गंभीर मुद्दा करार दिया।
घटना मराठी भाषा दिवस (27 फरवरी) से एक दिन पहले की है। वाकया तब हुआ, जब राव ने अपना भाषण अंग्रेजी में शुरू किया, जिसके कुछ ही मिनटों बाद ज्यादातर सदस्य अपने हेडफोन में मराठी के बजाय गुजराती में अनुवाद सुनकर भौंचक्के रह गए।
गुस्साए विपक्षी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सदस्यों ने हंगामा खड़ा कर दिया। उन्होंने गुजराती ऑडियो चलाने के लिए सरकार की आलोचना की और शोर मचाते हुए मराठी अनुवाद ऑडियो चलाने की मांग की। विधानसभा में विपक्ष के नेता कांग्रेस के राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा, "यह एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है.. इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।"
परिषद में उनके समकक्ष एनसीपी के धनंजय मुंडे ने कहा, "सरकार ने महाराष्ट्र के 12 करोड़ लोगों को निराश किया है..हमने भाषण को मराठी में नहीं, बल्कि गुजराती भाषा में सुना है।" इन दोनों नेताओं के नेतृत्व में विपक्ष के मुख्य सदस्यों ने राज्यपाल के बाकी बचे भाषण का बहिष्कार किया और शोर मचाते हुए सदन से निकल गए।
शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने कहा कि जब उन्होंने गुजराती अनुवाद वाला ऑडियो सुना, वह जांच के लिए खुद ही तुरंत विधानसभा के कंट्रोल रूम गए और बाद में राज्यपाल के भाषण का मराठी अनुवाद पढ़ा, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि यह तकनीकी गड़बड़ी थी या कुछ और।
वहीं फड़णवीस ने कहा, "यह एक बहुत बड़ी गलती है। यह एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है। मैं माननीय अध्यक्ष से इस मामले में तुरंत जांच और इसके जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का अनुरोध करता हूं। अगर इस शाम तक ऐसा हो सके तो सदन को स्थगित कर देना चाहिए। मैं इसके लिए बिना शर्त माफी मांगता हूं।"