नई दिल्ली: पाकिस्तान के हिंदू आतंकवाद वाली साज़िश पर मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर राकेश मारिया के खुलासे के बाद भी कांग्रेस अपनी थ्योरी पर कायम है। अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हिंदू आतंकवाद की बात गलत नहीं थी। मक्का धमाके में साध्वी प्रज्ञा का नाम था। अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आतंकवादी जब कहीं हमला करता है तो अपनी पहचान छिपा लेता है।
उन्होंने कहा है कि 'हिंदू आतंक' शब्द गढ़े जाने पर एक अलग पृष्ठभूमि थी। मक्का मस्जिद में विस्फोट हुआ था और प्रज्ञा ठाकुर, अन्य को तब गिरफ्तार किया गया था, उस दौरान इस शब्द का प्रयोग किया गया था।
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आतंकवादी हमेशा छलावा करते हैं। वो अपनी वास्तविक पहचान के साथ हमलों को अंजाम नहीं देते हैं। यह यूपीए सरकार थी जिसने हमले के बारे में सब कुछ बताया। बाद में यूपीए शासन के दौरान अजमल कसाब को फांसी दे दी गई।
बता दें कि राकेश मारिया ने खुलासा किया था कि लश्कर-ए-तैयबा ने आतंकी अजमल कसाब को हिंदू पहचान देने की साजिश रची थी। लश्कर 26/11 हमले को हिंदू आतंक के रूप में प्रोजेक्ट करना चाहता था इसलिए कसाब के पास एक फर्जी आई कार्ड था।
इस कार्ड पर कसाब का नाम समीर चौधरी था और उसे बेंगलुरु निवासी बताया गया था। आतंकी हमले के बाद कसाब की एक तस्वीर सामने आई थी। इसमें उसकी दांयी कलाई पर लाल रंग का कलावा बंधा हुआ था जिससे वो देखने में हिन्दू लगे।
इस खुलासे के बाद बीजेपी आक्रमक हो गई है क्योंकि जिस वक्त मुंबई हमला हुआ था, उस वक्त महाराष्ट्र और देश में कांग्रेस की सरकार थी। सड़क से संसद तक भगवा आतंकवाद पर हल्ला हो रहा था। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने सीधा-सीधा चिदंबरम का नाम लेकर ये आरोप लगाया है कि अब सारा खेल खुलता जा रहा है कि कैसे कांग्रेस, उस वक्त हिंदू आतंकवाद की परिभाषा गढ़ने की कोशिश कर रही थी।