नई दिल्ली: महाराष्ट्र में नयी सरकार के गठन की दिशा अभी तक कोई तस्वीर स्पष्ट रूप से सामने नहीं आई है। इस बीच बुधवार शाम पांच बजे नई दिल्ली स्थित शरद पवार के घर 6 जनपथ पर कांग्रेस और एनसीपी नेताओं के बीच बैठक होने वाली है। गत 24 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से सरकार गठन को लेकर लगातार असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस बीच, मंगलवार दोपहर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे, केसी वेणुगोपाल और एके एंटनी ने सोनिया से मुलाकात कर महाराष्ट्र से जुड़ी स्थिति के बारे में अवगत कराया।
राकांपा के नेता नवाब मलिक ने कहा कि कांग्रेस नेता पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती से जुड़े कार्यक्रमों में व्यस्त हैं और ऐसे में उन्होंने यह बैठक बुधवार को करने का आग्रह किया। दोनों पार्टियों ने शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने की संभावना पर बातचीत के लिए अपने वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है। कांग्रेस की तरफ से वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, महाराष्ट्र प्रभारी मल्लिकार्जुन खड़गे और कुछ अन्य नेता तथा राकांपा की तरफ से प्रफुल्ल पटेल, सुनील तटकरे, अजीत पवार और जयंत पाटिल मंगलवार को मिलने वाले थे।
इससे पहले सोमवार को राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की और कहा कि दोनों पार्टियां अब उन छोटे दलों के साथ बातचीत करेंगी जो साथ चुनाव लड़े हैं। इस बीच, शिवसेना ने एक समय अपनी सहयोगी रही भाजपा की तुलना 13वीं सदी के हमलावर मोहम्मद गौरी से की जिसने पृथ्वीराज चौहान की हत्या कर दी थी जबकि चौहान ने कई बार उसकी जान बख्श दी थी ।
दिल्ली में शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि महराष्ट्र में अगले महीने की शुरुआत में शिवसेना के नेतृत्व में सरकार बन जाएगी जो स्थिर सरकार होगी। राउत ने कहा कि सरकार गठन को लेकर शिवसेना में कोई भ्रम नहीं है, लेकिन मीडिया भ्रम फैला रहा है। उधर, शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में तल्ख तेवरों में लिखे संपादकीय में कहा कि वह भाजपा को उखाड़ फेंकेगी जिसने उसे चुनौती देने की जुर्रत की है। उसने यह भी दावा किया कि सत्तारूढ दल के ‘नेता बच्चे थे’ जब शिवसेना के सहयोग से राजग बना था ।
गत 24 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से सरकार गठन को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रही और फिर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। चुनाव में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिला था, लेकिन ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद पर शिवसेना के दावे के बाद दोनों के रास्ते अलग हो गए। (इनपुट-भाषा)