नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) को छात्र एवम कार्यकर्ता उमर खालिद के खिलाफ शुक्रवार तक कोई सख्त कदम उठाने से रोक दिया। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने कहा, "जेएनयू याचिकाकर्ता (खालिद) के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाएगा।" और मामले की सुनवाई के लिए शुक्रवार का दिन निर्धारित किया। उमर खालिद को 2016 में एक कार्यक्रम के दौरान भारत विरोध नारे लगाने के संबंध में यूनिवर्सिटी के एक पैनल ने विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया था और साथ में जुर्माना भी लगाया था। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल का आदेश विश्वविद्यालय के आदेश को चुनौती देने वाली खालिद की याचिका सुनवाई करने पर आया है, जिसने उसके खिलाफ जुमार्ना लगाया है। (मणिपुर में IED ब्लास्ट में असम राइफल्स का एक जवान घायल )
अदालत ने जेएनयू और अन्य को नोटिस भी जारी किया और छात्र की याचिका पर प्रतिक्रिया मांगी। खालिद के वकील ने अदालत से कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र संघ के पूर्व नेता कन्हैया कुमार ने भी अदालत से संपर्क किया है और उनके मामले की सुनवाई भी शुक्रवार के लिए निर्धारित की गई है। कुमार ने याचिका में चार जुलाई को चीफ प्रॉक्टर के जरिए जेएनयू के आदेश को रद्द करने की मांग की है। जेएनयू ने चार जुलाई के आदेश के तहत कुमार और अन्य को जेएनयू के छात्रों के अनुशासन और उचित आचरण के तहत दोषी ठहराया और जुर्माना लगाया था।
गौरतलब है कि 11 फरवरी 2016 को गठित उच्चस्तरीय समिति की जांच रिपोर्ट के आधार पर अदोश जारी किया गया था। जांच में छात्र एवं कार्यकर्ता उमर खालिद, कन्हैया कुमार और अनिर्बान भट्टाचार्य को फरवरी 2016 की घटना में दोषी पाया गया, जिसमें युवकों के एक समूह ने कथित रूप से 'राष्ट्र विरोधी' नारे लगाए थे। इसने अनुशासनिक मानदंडों का उल्लंघन करने के आरोप में 13 अन्य छात्रों पर जुर्माना लगाने के अलावा उमर खालिद के निष्कासन की भी सिफारिश की थी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के छात्र विंग के सदस्य कन्हैया कुमार उस साल विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष थे। इन तीनों पर नौ फरवरी 2016 को जेएनयू परिसर में साबरमती ढाबा में छात्र कविता पाठ के दौरान भारत की अखंडता के खिलाफ नारे लगाने का आरोप है। हालांकि पुलिस ने किसी के खिलाफ आरोपपत्र दायर नहीं किया है।