नई दिल्ली: भारत को जोखिम के प्रति सतर्क समाज बनने की जरूरत पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि सतर्क रहकर और आवश्यक नियमों का पालन करके लोग अपने जीवन की रक्षा करने के साथ-साथ बहुत बड़ी दुर्घटनाओं को भी टाल सकते हैं। आकाशवाणी पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम यह न सोचें कि सुरक्षा किसी और के लिए है, अगर हम सब अपनी सुरक्षा के लिए सजग हो जाएं तो समाज की सुरक्षा का भाव भी अन्तर्निहित होता है। अगर हम सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं, तो हम सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि भारत भौगोलिक और जलवायु की दृष्टि से विविधताओं से भरा हुआ देश है। इस देश ने कई प्राक्रतिक और मानव-निर्मित आपदाएँ, जैसे रासायनिक एवं औद्योगिक दुर्घटनाओं का सामना किया है।
उन्होंने कहा कि विभिन्न आपदाओं के संबंध में बचाव अभियान हो, तब NDMA तुरंत पहुंचता है। उन्होंने दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं, साथ ही वे क्षमता निर्माण के लिए लगातार प्रशिक्षण के काम भी करते रहते हैं। बाढ़, चक्रवात के खतरे वाले ज़िलों में स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण के लिए भी ‘आपदा मित्र’ नाम की पहल की गई है। मोदी ने कहा कि लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए अभियान चलाया गया। मौसम विभाग ने सटीक पूर्वानुमान लगाए। सबकी भागीदारी से एक अच्छा परिणाम सामने आया। साल 2017 में लू से होने वाली मौतों की संख्या अप्रत्याशित रूप से घटकर क़रीब-क़रीब 220 पर आ गई।
PM ने कहा कि जब सार्वजनिक सुरक्षा की बात हो तो दो चीज़ें बहुत महत्वपूर्ण होती हैं, पहली है सक्रियता और दूसरी है तैयारी। इस संबंध में आपदा के दौरान सुरक्षा और दैनिक जीवन में सुरक्षा भी दो महत्वपूर्ण पहलू हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं को छोड़ दें तो ज़्यादातर दुर्घटनाएं किसी न किसी गलती का परिणाम होती हैं। उन्होंने कहा, ‘अगर हम सतर्क रहें, आवश्यक नियमों का पालन करें तो हम अपने जीवन की रक्षा तो कर ही सकते हैं, साथ ही, बहुत बड़ी दुर्घटनाओं से भी हम समाज को बचा सकते हैं। मेरा तो आग्रह है कि महानगर पालिका, नगर पालिकाएं जिनके पास अग्निशमन वाहन होते हैं उन्हें हफ़्ते में एक बार या महीने में एक बार अलग-अलग स्कूलों में जा करके बच्चों के सामने छद्म अभ्यास करना चाहिए।’
उन्होंने कहा कि इससे अग्निशमन को भी सतर्क रहने की आदत रहती है और नई पीढ़ी को इसकी शिक्षा भी मिलती है। इसके लिए कोई अलग से खर्चा नहीं होता, यह एक प्रकार से शिक्षा का ही एक क्रम बन जाता है। PM ने कहा कि जैसे दुनिया के दूसरे देशों में संयुक्त सैन्य अभ्यास होता है तो क्यों न दुनिया के देश आपदा प्रबंधन के लिए भी संयुक्त अभ्यास करें। उन्होंने कहा कि भारत ने इसका नेतृत्व किया है, बिम्सटेक देश बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान और नेपाल, इन्होंने एक संयुक्त आपदा प्रबंधन अभ्यास भी किया है। प्रधानमंत्री ने आपदाओं से निपटने में सशस्त्र बलों, अर्द्धसैनिक बलों, अग्निशमन सेवाओं, NCC, स्काउट आदि के योगदान की भी सराहना की।