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'भाजपा को रोकने के नाम पर पार्टी पागलपन कर रही है'

पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ समर्थन का कड़ा विरोध करने वाले माकपा राज्य-समिति के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा, पिछले वर्ष हमारे पार्टी नेतृत्व ने वन-उदारवादी नीतियों और आपातकाल के दौरान कांग्रेस के अत्याचारों को भूल कर उनके साथ गठजोड़ करन

Reported by: Bhasha
Published : July 19, 2017 14:06 IST
CPI-M
CPI-M

कोलकाता: उपराष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार गोपालकृष्ण गांधी का समर्थन करने के केन्द्रीय नेतृत्व के फैसले से पश्चिम बंगाल माकपा का एक तबका बेहद नाखुश है। गौरतलब है कि प्रदेश का राज्यपाल रहते हुए गांधी ने सिंगूर और नंदीग्राम आंदोलन के दौरान पार्टी की भूमिका की आलोचना की थी। राज्य समिति के कई सदस्य गांधी को समर्थन देने के निर्णय से नाराज हैं। कुछ ने पार्टी फोरम पर अपनी नाराजगी जाहिर की और कुछ ने सोशल मीडिया पर अपनी नाखुशी जतायी है। इन असंतुष्ट नेताओं ने हुगली जिले के सिंगूर में जबरन किए जा रहे भूमि अधिग्रहण के खिलाफ गांधी के खड़े होने का हवाला दिया। यह अधिग्रहण टाटा मोटर्स की छोटी कार की फैक्टरी लगाने के लिए था और इस दौरान नंदीग्राम में भू-अधिग्रहण विरोधी अभियान शुरू हो गया था। ये भी पढ़ें: दलालों के चक्कर में न पड़ें 60 रुपए में बन जाता है ड्राइविंग लाइसेंस

उन्होंने गांधी को तृणमूल कांग्रेस का पक्ष लेने वाला भी करार दिया। माकपा की राज्य समिति के एक नेता ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर कहा, हमें बिल्कुल अंदाजा नहीं है कि हमारा नेतृत्व क्या करना चाहता है। पहले उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन करने को फैसला लिया और अब उन्होंने गांधी का समर्थन करने का फैसला लिया है। नेता ने कहा, पार्टी वर्ष 2006 से 2009 के बीच गांधी की पक्षपातपूर्ण भूमिका को कैसे भूल सकती है भाजपा को रोकने के नाम पर यह पूर्ण पागलपन है। पार्टी अपनी कब्र खुद खोद रही है।

पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ समर्थन का कड़ा विरोध करने वाले माकपा राज्य-समिति के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा, पिछले वर्ष हमारे पार्टी नेतृत्व ने वन-उदारवादी नीतियों और आपातकाल के दौरान कांग्रेस के अत्याचारों को भूल कर उनके साथ गठजोड़ करने को कहा ताकि तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया जाए।

उन्होंने कहा, अभी हमने भाजपा का रोकने के मद्देनजर गांधी को माफ करने का फैसला लिया है। अगले साल शायद पार्टी हम से तृणमूल को माफ कर और भाजपा को रोकने के लिए उसके साथ गठबंधन करने को कह दे। पार्टी के शीर्ष नेताओं के फैसले का बचाव करते हुए पोलित ब्यूरो के सदस्य हन्नान मोल्लाह ने पीटीआई भाषा से कहा कि कुछ फैसले बड़ी तस्वीर को ध्यान में रखते हुए लिए गए हैं फिर चाहे उनसे गुस्सा या असंतोष ही क्यों न उत्पन्न हो।

इसी तरह माकपा के राज्य सचिवालय के सदस्य नेपालदेब भट्टाचार्य ने कहा, जो पार्टी के फैसले का विरोध कर रहे हैं वह बंगाल को ध्यान में रखते हुए ऐसा कर रहे हैं। वह शायद अपने दृष्टिकोण से सही हों। लेकिन अगर आप भारत के हिसाब से देखेंगे तो आप समझा पाएंगे कि पार्टी के दृष्टिकोण से यह निर्णय एकदम सही है।

गोपालकृष्ण गांधी दिसंबर 2004 से दिसंबर 2009 के बीच पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे। माकपा नीत सरकार और राज्यपाल के बीच संबंध उस दौरान समय खराब हो गए क्योंकि गांधी ने तत्कालीन राज्य सरकार के सिंगूर में जबरन भू-अधिग्रहण करने के फैसले का विरोध किया था। इसके बाद वर्ष 2007 में नंदीग्राम में पुलिस की गोलीबारी में 14 लोगों की मौत हो गई थी।

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