नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने फेसबुक पोस्ट में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग के मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा है। महाभियोग संबंधी याचिका सुप्रीम कोर्ट से वापस लिये जाने के सांसदों के निर्णय पर जेटली ने कहा कि कांग्रेस चाहती है कि मैदान उसके मनमाफिक हो। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लिखा है कि न्यायालय में मतभेदों का कांग्रेस फायदा उठाना चाह रही है। उन्होंने आगे कहा है कि कांग्रेस नेतृत्व ने अपने आप को हाशिये पर खड़ा कर लिया है और इसका तत्काल खामियाजा कर्नाटक में कांग्रेसियों को भुगतना होगा।
जेटली ने लिखा है कि भारतीय राजनीति में कांग्रेस को पुराने राजनीतिक दल के तौर पर जाना जाता था। स्वतंत्रता के बाद पांच दशक तक देश की राजनीति के केंद्र में यह पार्टी रही। धीरे-धीरे यह पारंपरिक राजनीतिक दल से वंशवाद तक सीमित हो गई। एक परिवार के इर्द-गिर्द तक सिमटी हुई पार्टी चुनावी आंकड़ों में दो अंकों तक सिमट कर रह गई। हर राज्य से कांग्रेस के पांव उखड़ते गए और जनता इन्हें नकारती गई और यह पार्टी अब हाशिये पर आ गई है।
जेटली ने आगे लिखा है कि जब जेएनयू में टुकड़े-टुकड़े का नारा लगा तब इसके मौजूदा अध्यक्ष उन नारे लगानेवालों के समर्थन में कुछ वामपंथी नेताओं के साथ वहां चले गए। जब संसदीय बहस में मैंने इस मुद्दे को उठाया कि क्या पार्टी की लीडरशिप किसी कांग्रेसी कार्यकर्ता को यह इजाजत देगी कि वह देश के टुकड़े करनेवाले लोगों के साथ खड़े होने की इजाजत देगी। लेकिन कांग्रेसी लीडरशिप ने इसपर बिल्कुल अलग रुख अपनाया।
जेटली ने आगे लिखा कि तकनीकी के इस्तेमाल पर कांग्रेस ईवीएम छोड़कर फिर बैलेट पेपर के साथ जाना चाहती है। डिजिटाइजेशन को लेकर वह डिजिटल मोड के लेनदेन को पसंद नहीं करती है बल्कि नगद लेन-देन को प्राथमिकता देती है। अर्थव्यवस्था में बदलाव को भी कांग्रेस सहर्ष स्वीकार नहीं कर पा रही है। जेटली ने लिखा कि जज लोया की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट में उनकी फजीहत हो चुकी है। अब चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग के मामले में भी उन्हें याचिका वापस लेनी पड़ी। इससे यह पता चलता है कि एक राष्ट्रीय पार्टी मुख्यधारा की राजनीति से हटकर हाशिये पर अटकी हुई है।