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कर्नाटक: क्या बागी विधायकों के ऊपर मंडरा रहा है अयोग्य घोषित होने का खतरा? जानें

कर्नाटक विधानसभा से सत्तारूढ़ कांग्रेस व JDS के विधायकों द्वारा इस्तीफा देने के बाद सरकार के भविष्य पर बड़ा संकट पैदा हो गया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : July 12, 2019 9:24 IST
Rebel MLAs Vishwanath, Munirathna, Mahesh Kumathalli and Pratap Gowda | PTI
Rebel MLAs Vishwanath, Munirathna, Mahesh Kumathalli and Pratap Gowda | PTI

बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा से सत्तारूढ़ कांग्रेस व JDS के विधायकों द्वारा इस्तीफा देने के बाद सरकार के भविष्य पर बड़ा संकट पैदा हो गया है। इसी के साथ सवाल यह उठता है कि क्या विधानसभा अध्यक्ष अपने विधायकों के खिलाफ दलबदल कानून (एंटी डिफेक्शन लॉ) लागू कर उन्हें अयोग्य घोषित कर पाएंगे? विशेषज्ञों के अनुसार, कांग्रेस और जनता दल-सेक्युलर (JDS) के बागी विधायकों को विरोधी दलबदल कानून के तहत अयोग्य घोषित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि उन्होंने अपने इस्तीफे विधायक के तौर पर विधानसभा अध्यक्ष को सौंपे हैं, न कि पार्टी सदस्य के तौर पर पार्टी को।

खतरे में है कुमारस्वामी सरकार

विशेषज्ञों के अनुसार, अयोग्यता का प्रश्न तब उठ सकता है अगर वे अपनी-अपनी पार्टियों के व्हिप की अवहेलना करते हैं। पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस के 13 जबकि JDS के 3 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया, जिससे गठबंधन सरकार संकट में पड़ गई है। इस्तीफे से पहले 225 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस के पास अध्यक्ष सहित 79 जबकि जद-एस के पास 37 विधायक थे। अगर अध्यक्ष 16 विधायकों के इस्तीफे को स्वीकार कर लेते हैं, तो विधानसभा की प्रभावी ताकत 225 से घटकर 209 हो जाएगी और बहुमत के लिए जादुई आंकड़ा 105 हो जाएगा जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन 100 पर सिमटकर अल्पमत में आ जाएगा।

विधायकों को नहीं ठहराया जा सकता अयोग्य
कर्नाटक हाई कोर्ट के अधिवक्ता रवि नाइक ने बताया, ‘विधायकों ने अपने इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार को सौंपे है। उन्होंने पार्टी को इस्तीफे नहीं दिए हैं। इसलिए दलबदल कानून उन पर लागू नहीं होगा और उन्हें अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।’ नाइक ने कहा कि अध्यक्ष इस्तीफे को स्वीकार करने के लिए बाध्य हैं, अगर विधायकों ने दल-बदल कानून या संविधान की 10वीं अनुसूची की अवहेलना नहीं की हो। उन्होंने बताया, ‘विधायकों को इस्तीफा देने से पहले व्हिप नहीं सौंपे गए थे।’

सिद्धारमैया ने की अयोग्य घोषित करने की मांग
कांग्रेस विधायक दल (CLP) के नेता सिद्धारमैया ने सोमवार को अध्यक्ष को याचिका दायर कर बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की, ताकि वह अनुच्छेद 164-1 (ख) के तहत 6 साल के लिए मंत्री न बन सकें या चुनाव न लड़ सकें। इस पर नाइक ने कहा कि इसके प्रावधान उन पर लागू नहीं होंगे, जैसे कि उन्हें पार्टी से निष्कासित नहीं किया गया है, और न ही उन्होंने व्हिप को खारिज किया है।

क्या कहना है संविधान के जानकारों का
नाइक ने कहा, ‘बागियों ने दावा किया है कि उन्होंने केवल अपने संबंधित विधानसभा क्षेत्रों से इस्तीफा दिया है, जहां से वे मई 2018 के विधानसभा चुनावों में चुने गए थे। उन्होंने अपनी पार्टियों (कांग्रेस या JDS) से इस्तीफा नहीं दिया है। इसलिए अध्यक्ष भी 10वीं अनुसूची या अनुच्छेद 164-1 (ख) के प्रावधानों को लागू करने में सक्षम नहीं होंगे।’ वहीं विख्यात संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 101 के अनुसार, विधानसभा में विधायकों द्वारा दिए गए इस्तीफे के मूल में कारण की प्रकृति की पहचान करने की शक्ति नहीं है। (IANS)

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