नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के बाद कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का उल्लेख इसमें नहीं होना चाहिए था क्योंकि इस पर राजनीतिक दलों में अभी कोई सहमति नहीं है। पार्टी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उम्मीद की जाती है कि पिछले पांच वर्षों में वादों को पूरा करने में विफल रही सरकार अब नए कार्यकाल में वादों को पूरा करके दिखाएगी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘अभिभाषण में एक राष्ट्र, एक चुनाव का उल्लेख किया गया। यह नहीं होना चाहिए था। यह समय पूर्व है। इस पर राजनीतिक दलों में सहमति भी नहीं है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि यह संविधान से जुड़ा विषय है और कांग्रेस एक राष्ट्र, एक चुनाव के विचार का विरोध करती है।
राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में कहा, ‘‘आज समय की मांग है कि ‘एक राष्ट्र-एक साथ चुनाव’ की व्यवस्था लाई जाए जिससे देश का विकास तेज़ी से हो सके और देशवासी लाभान्वित हों। ऐसी व्यवस्था होने पर सभी राजनैतिक दल अपनी विचारधारा के अनुरूप, विकास व जनकल्याण के कार्यों में अपनी ऊर्जा का और अधिक उपयोग कर पाएंगे। अतः मैं सभी सांसदों का आह्वान करता हूं कि वे ‘एक राष्ट्र-एक साथ चुनाव’ के विकासोन्मुख प्रस्ताव पर गंभीरता-पूर्वक विचार करें।’’
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को इसी विषय पर चर्चा के लिए राजनीतिक दलों के प्रमुखों की बैठक बुलाई थी जिसमें कांग्रेस सहित कई प्रमुख विपक्षी दल शामिल नहीं हुए। शर्मा ने यह भी दावा किया कि इस अभिभाषण में रोजगार को लेकर कोई ठोस बात नहीं की गई है, जबकि बेरोजगारी देश के सामने बहुत बड़ी समस्या है। उन्होंने कहा, ‘‘देश में आर्थिक मंदी है। आर्थिक विकास की गति तेज करने की जरूरत है। सरकार ने इसको लेकर कोई खाका पेश नहीं किया।’’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘सरकार ने अगले कुछ वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था पांच हजार अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा है। ऐसा करने के लिए देश की विकास दर दोहरे अंकों में होनी चाहिए जबकि यह छह फीसदी के नीचे आ चुकी है।’’ उन्होंने कहा कि सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का दावा कर रही है, लेकिन अगर कृषि क्षेत्र की मौजूदा विकास दर के हिसाब चले तो यह लक्ष्य 45 साल में पूरा होगा।
पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘एक बार फिर बहुत सारी बातें की गई हैं। 2014 में भी बहुत सी बातें की गईं थी। लेकिन क्या हुआ? सिर्फ बातों से शासन नहीं चलता। मजबूत इरादे और सच्ची निष्ठा से शासन चलने पर देश आगे बढ़ता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर बातों से गरीबी दूर होती और सारी चीजें हो जातीं तो अच्छी बात है। वादे तो कर दिए लेकिन इनको पूरा करने के लिए इरादे की जरूरत है। हम चाहेंगे कि जो वादे उन्होंने किए वो इन पांच वर्षों के कार्यकाल में पूरे करें। पिछले पांच साल के वादे तो आज तक पूरे नहीं हुए।’’