नई दिल्ली: गुजरात में बीते दो दिनों में अपने छह विधायकों के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने को लेकर परेशान कांग्रेस ने शनिवार को निर्वाचन आयोग का दरवाजा खटखटाया और भाजपा द्वारा अपने विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में उच्चस्तरीय जांच बिठाए जाने की मांग की। कांग्रेस की शिकायत पर निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन आयोग ने गुजरात के मुख्य सचिव से रिपोर्ट देने के लिए कहा है। आयोग ने गुजरात सरकार को सभी विधायकों और उनके परिवार के सदस्यों को समुचित सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश भी दिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, अभिषेक मनु सिंघवी और विवेक टांखा वाले प्रतिनिधिमंडल ने निर्वाचन आयोग से मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें कहा गया है कि गुजरात में भाजपा आठ अगस्त को होने वाले राज्यसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस विधायकों को तोड़ने के लिए धनबल और बाहुबल का इस्तेमाल कर रही है। (Bihar New cabinet: नीतीश के 'सुशासन' की नई टीम, 26 मंत्रियों ने ली शपथ)
प्रतिनिधिमंडल ने निर्वाचन आयोग से 'कांग्रेस विधायकों को धनबल, बाहुबल और सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर पार्टी से तोड़ने के मामले की जांच के लिए एक स्वतंत्र व्यक्ति/अधिकारियों वाली उच्चस्तरीय समिति गठित करने' की मांग की। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि कम से कम तीन विधायकों- पूनाभाई गैमिट (व्यारा), मंगलभाई गैमिट (डांग) और ईश्वरभाई पटेल (धरमपुर) - से भाजपा और उसके एजेंटों ने संपर्क साधा और पैसों का लालच देकर उन्हें पार्टी से तोड़ने की कोशिश की।
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले आजाद ने कहा, "राज्य सरकार, प्रशासन और पुलिस का इस्तेमाल किया गया। सबसे दुखद बात यह है कि यह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य में हुआ। हमने निर्वाचन आयोग से इस शर्मनाक घटनाक्रम में शामिल सभी अधिकारियों को स्थानांतरित करने या निलंबित करने की मांग भी की, जिन्होंने हमारे विधायकों का अपहरण कर उन्हें बंधक बनाए रखा।" गुजरात में ताजा घटनाक्रम से कांग्रेस को आठ अगस्त को होने वाले राज्यसभा चुनाव में नुकसान पहुंचने की संभावना है, जिसे देखते हुए कांग्रेस ने गुजरात के अपने शेष 44 विधायकों को कर्नाटक में सुरक्षित जगह पहुंचा दिया है।