नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली में चीनी नेताओं से मुलाकात की है। इस मीटिंग में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के सीनियर नेता मौजूद थे। मीटिंग में पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा भी मौजूद थे। मुलाकात में क्या बात हुई इसका खुलासा नहीं हुआ है। चीनी नेताओं से ये मुलाकात टाइमिंग की वजह से सवालों के घेरे में है क्योंकि एक ओर अमेरिका आतंक के मुद्दे पर पाकिस्तान को झटके पे झटका दे रहा है वहीं चीन खुलकर पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा है। इसी वक्त चीन के कम्युनिस्ट पार्टी के बड़े नेताओं से राहुल गांधी के घर पर ये मुलाकात हुई है।
इस मुलाकात की तस्वीर खुद राहुल गांधी ने अपने ट्वीटर पर शेयर की है। मुलाकात शुक्रवार को दिल्ली में हुई है। इस तस्वीर में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के सेंट्रल कमेटी के सदस्य Meng Xiangfeng और राहुल गांधी एक साथ दिख रहे हैं। राहुल गांधी के दाहिने ओर सीनियर कांग्रेस नेता आनंद शर्मा और मुकुल वासनिक दिख रहे हैं। साथ में चीन के डेलीगेशन में शामिल कई नेता और चीनी अफसर दिख रहे हैं लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चीन के नेताओं के साथ मुलाकात की जो टाइमिंग चुनी है उसपर सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल नए साल की शुरुआत में ही दुनिया का सुपर पावर अमेरिका लगातार पाकिस्तान को आतंकवाद को लेकर लताड़ रहा है।
आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को दुनिया में अलग-अलग करने की पीएम मोदी की पहल रंग ला रही है लेकिन चीन ही वो देश है जो लगातार पाकिस्तान के साथ खड़ा है। जिन वजहों से अमेरिका पाकिस्तान पर कड़े रुख अख्तियार किए हुए है उन्हीं वजहों के लिए चीन पाकिस्तान को शाबासी दे रहा है। दो दिन पहले ही चीनी प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा था कि पाकिस्तान ने काफी प्रयास किया है और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कुर्बानी दी है। आतंकवाद निरोधक वैश्विक प्रयास में उसकी भूमिका शानदार रही है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इसकी जानकारी होनी चाहिए।
जिस पाकिस्तान को ट्रंप आतंक की फैक्ट्री मानते हैं, हिंदुस्तान आतंकवादियों की पनाहगाह बताता है उस पाकिस्तान को बचाने के लिए चीन अमेरिका तक से उलझने के लिए तैयार है। जाहिर है फिलहाल आतंकवाद को लेकर चीन का वही अधिकारिक स्टैंड है जो पाकिस्तान के हुक्मरानों का है। साथ ही एक ओर भारत और अमेरिका जहां मोस्ट वांटेड आतंकी मसूद अजहर को इंटरनेशनल टेररिस्ट घोषित करने के लिए बार-बार संयुक्त राष्ट्र में पहल करता है तो यहां भी चीन का वीटो पावर मसूद अजहर के लिए कवच का काम कर रहा है।
नए साल में चीन ने एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश विवाद को हवा दी है। बुधवार को चीन की सरकार की तरफ से बयान आया कि वो अरुणाचल प्रदेश के वजूद को ही नहीं मानता। ऐसे हालात में राहुल गांधी की चीनी नेताओं से ये मुलाकात हुई। ये मीटिंग चीन की उस कम्यूनिस्ट पार्टी के नेताओं से हुई जिनकी मर्जी के बगैर वहां एक पत्ता तक नहीं हिलता।
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना चीन में 68 साल से सरकार में है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इसी पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं। पार्टी की सेंट्रल कमेटी में क़रीब 200 मेंबर होते हैं और यही सदस्य चीन की दिशा और दशा तय करते हैं और इन्हीं दो सौ सदस्यों में Meng Xiangfeng भी शामिल हैं जिन्होंने कल राहुल गांधी से मुलाकात की थी लेकिन इस मीटिंग में क्या एजेंडा रहा, किन मुद्दों पर बात हुई इस पर कांग्रेस पार्टी फिलहाल चुप है।