अमेठी/रायबरेली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 2 दिन की यात्रा पर आज अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी पहुंचे। वहां मीडिया से बात करते हुए उन्होंने अपनी बहन प्रियंका गांधी को पूर्वी यूपी का महासचिव बनाए जाने पर खुशी जताई। राहुल ने कहा कि प्रियंका बहुत कर्मठ और सक्षम हैं और मैं अपनी बहन के सियासत में आने से खुश हूं। उन्होंने कहा कि प्रियंका को यूपी में लाना बड़ा फैसला है, वह प्रदेश में लंबे समय तक काम करेंगी। साथ ही आने वाले चुनावों में आक्रामक तेवर अपनाने का इशारा करते हुए राहुल ने कहा कि मैं और प्रियंका बैकफुट पर नहीं खेलेंगे।
प्रियंका के लोकसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर राहुल ने कहा कि इसका फैसला वह खुद करेंगी। राहुल ने कहा, 'कांग्रेस पार्टी अपनी विचारधारा के लिए लड़ रही है। प्रियंका और ज्योतिरादित्य काफी पावरफुल नेता हैं।' वहीं, सपा-बसपा के महागठबंधन में कांग्रेस को जगह न मिलने के बावजूद राहुल ने कहा, 'अखिलेशजी और मायावतीजी का मैं सम्मान करता हूं, बीजेपी को हराने के लिए जहां तक संभव होगा साथ आकर काम करेंगे।'
इससे पहले बुधवार को अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी रवाना होने से पहले राहुल ने कहा था कि वहां घर के आंगन में अपनों से बातचीत होगी। गांधी ने फेसबुक पोस्ट में कहा, 'अमेठी आ रहा हूँ। घर के आंगन में अपनों के साथ बात-विचार होगा। खुशियों की इस कहानी के रंग आपको तस्वीरों के माध्यम से दिखाता रहूंगा।' कांग्रेस अध्यक्ष के प्रतिनिधि चंद्रकांत दुबे ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष फुरसतगंज में ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे। इसके बाद में वह गौरीगंज में नवनिर्वाचित बार सदस्यों (वकीलों) के शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल होंगे।
दुबे ने बताया कि राहुल गांधी हलियापुर में एक नुक्कड़ सभा को भी संबोधित करेंगे तथा भुएमऊ गेस्ट हाउस में रात्रि विश्राम करेंगे। राहुल के प्रतिनिधि द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक, अपनी यात्रा के दूसरे दिन कांग्रेस अध्यक्ष पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलेंगे, बाद में वह दिल्ली लौट जाएंगे। राहुल इससे पहले 4 जनवरी को अमेठी आने वाले थे लेकिन संसद सत्र चलने के कारण उनका दौरा उस समय स्थगित हो गया था। उस दिन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का भी अमेठी दौरा था। वहीं, यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी के प्रतिनिधि केएल शर्मा ने बताया कि सोनिया का दौरा अपरिहार्य कारणों से रद्द हो गया है।
उत्तर प्रदेश में अमेठी और रायबरेली दो ऐसी लोकसभा सीटें हैं जिन्हें समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन ने कांग्रेस के लिए छोड़ा है। 25 साल से एक दूसरे के विरोधी रहे सपा-बसपा के नए गठबंधन ने यूपी की 80 लोकसभा सीटों पर 38-38 सीटो पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। गठबंधन ने दो सीटे छोटे राजनीतिक दलों के लिये छोड़ी हैं।