नई दिल्ली: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजे के 21 दिन बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब लोगों को महसूस हो रहा है कि महाराष्ट्र को नया मुख्यमंत्री मिलने वाला है। पहली बार शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की ज्वाइंट मीटिंग हुई। इस मीटिंग में कॉमन मिनिमन प्रोग्राम को लेकर चर्चा के बाद एक ड्राफ्ट तैयार किया गया है। मुंबई के सियासी गलियारों में बह रही बयार पर यकीन करें तो महाराष्ट्र को जल्द ही एक मुख्यमंत्री नसीब होने वाला है और जो मुख्यमंत्री होगा वो ठाकरे परिवार से ही होगा।
मुंबई में गुरुवार को शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस नेताओं के बीच तीन-तीन बैठकें हुई और तीसरी बैठक से निकलने के बाद नेताओं ने साफ-साफ कह दिया कि बहुत कुछ तय हो गया है। एनसीपी का दावा है कि महाराष्ट्र में सरकार बहुत जल्दी बनेगी। यही दावा कांग्रेस भी कर रही है और यही दावा शिवसेना भी कर रही है। जो जैसे तय हो रहा वो वैसे हो गया तो नवंबर या दिसंबर में नई सरकार का गठन हो जाएगा। कल बैठक में ये तय हुआ कि किन बातों को लेकर ये सरकार अस्तित्व में आएगी।
कॉमन मिनिमम प्रोगॉम में तय किया गया कि किसानों की कर्जमाफी की जाएगी, फसल बीमा योजना की समीक्षा की जाएगी, न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की जाएगी, रोजगार निर्माण की योजनाएं बनाई जाएगी और शिवाजी और अंबेडकर की भव्य मूर्तियां लगाई जाएगी। सूत्रों की मानें तो सोनिया गांधी का साफ निर्देश है कि जो सरकार बने उसके एजेंडे में किसानों और नौजवानों को सबसे ऊपर रखा जाए और इस पर अब सहमति भी बन गई है।
मतलब शिवसेना तय कर चुकी है कि उसका ही मुख्यमंत्री बनेगा लेकिन आपस में अब तक चर्चा नहीं हुई है इसलिए कौन से सीएम ढाई साल का होगा या पांच साल का, किस पार्टी के कितने मंत्री होंगे, किसे कौन से अहम विभाग मिलेंगे और क्या डिप्टी सीएम भी दोनों पार्टियां से होंगे, जैसे मुद्दों पर बात अटक सकती है, इसलिए ये सबसे बड़ा सवाल है कि तीनों पार्टियों में आखिर तालमेल कैसे होगा।
तीनों ही पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष कल बैठक कर चुके हैं, अब सारी बातों को तीनों दलों के अध्यक्षों के सामने रखा जाएगा। 17 नवंबर को दिल्ली में शरद पवार और सोनिया गांधी के बीच मुलाकात हो सकती है। उम्मीद है कि इसके बाद महाराष्ट्र में सरकार की धुंधली तस्वीर साफ हो सकती है। तीनों दलों के साथ आने से महाराष्ट्र में राजनीति का खेल खुल गया है।