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बढ़ती असहिष्णुता पर संसद से राष्ट्रपति भवन तक कांग्रेस ने निकाला मार्च

नई दिल्ली: देश में असहिष्णुता के माहौल को खत्म करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी और मनमोहन सिंह समेत पार्टी नेताओं ने आज संसद से राष्ट्रपति भवन तक मार्च निकाला।

India TV News Desk
Updated on: November 03, 2015 21:31 IST
संसद से राष्ट्रपति...- India TV Hindi
संसद से राष्ट्रपति भवन तक कांग्रेस का मार्च

नई दिल्ली: देश में असहिष्णुता के माहौल को खत्म करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी और मनमोहन सिंह समेत पार्टी नेताओं ने आज संसद से राष्ट्रपति भवन तक मार्च निकाला। मार्च का उद्देश्य राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से यह अपील करना था कि वे असहिष्णुता के माहौल को खत्म करने के लिए अपने संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल करें।

मार्च के बाद कांग्रेस ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को ज्ञापन सौंपा। राष्ट्रपति से मिलने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, ‘मोदी सरकार में असहिष्णुता बढ़ी है। पीएम मोदी की खामोशी मौन सहमति है।’ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर नफरत फैलाने वाली घटनाओं को समर्थन देने का आरोप लगाया।

सोनिया ने राष्ट्रपति को सौंपे गए ज्ञापन के हवाले से संवाददाताओं से कहा कि देश में जो भी घटनाएं हो रहीं हैं, एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हैं जो जानबूझकर हमारे समाज को बांटने के लिए अपनाई जा रही है। वहीं, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी और आरएसएस के लोग देश में माहौल खराब कर रहे हैं।

मार्च से पहले सोनिया गांधी ने की राष्ट्रपति से मुलाकात

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की। सोनिया की राष्ट्रपति से मुलाकात करीब आधे घंटे चली। कांग्रेस इसे एक शिष्टाचार मुलाकात करार दिया।

मार्च का उद्देश्य?
कांग्रेस का यह कदम कलाकारों, लेखकों, वैज्ञानिकों और इतिहासकारों की ओर से कथित रूप से उस बढ़ती असहिष्णुता को लेकर विरोधों की पृष्ठभूमि में आया है जो कि दादरी घटना, गोमांस मामला और अन्य ऐसी घटनाओं में झलकता है।

दो दिन पहले सोनिया ने बढ़ती असहिष्णुता को लेकर अपनी चिंता जतायी थी और विभाजनकारी ताकतों के नफरत फैलाने के शैतानी षड्यंत्र से लड़ने की प्रतिबद्धता जतायी थी। उन्होंने कहा था कि यह देश की एकता को खतरा उत्पन्न करता है।

क्या देश में असहिष्णुता पहले से बढ़ी है? क्या कलाकारों और साहित्यकारों का अवॉर्ड लौटाना सही है? शाहरुख को भी लगता है कि देश में असहनशीलता बढ़ गई है। क्या आप शाहरुख की इस बात से सहमत है ? आप इन सब बातों पर क्या सोचते हैं अपने विचार शेयर करें...

 

अगली स्लाइड में देखिए मार्च की तस्वीरें-

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