नई दिल्ली: गुलाम नबी आजाद के राज्यसभा के सदस्य के रूप में कार्यकाल इसी महीने समाप्त हो रहा है। इससे पहले कांग्रेस पार्टी उच्च सदन में नए नेता की तलाश में जुट गई है। पार्टी के संविधान के अनुसार, कांग्रेस पार्लियामेंट्री पार्टी की अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी सदन में कांग्रेस के नेता का नाम तय करने के लिए अधिकृत हैं। प्रमुख विपक्षी दल होने के नाते, सदन में कांग्रेस नेता विपक्षी दलों के भी नेता होंगे। इस पद के लिए जिनका नाम सबसे आगे चल रहा है उनमें आनंद शर्मा, जो कि पार्टी के वर्तमान उप नेता हैं, पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, पूर्व केंद्रीय मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे, जो पार्टी के दलित चेहरा हैं और लोकसभा में कांग्रेस के नेता रह चुके हैं, के नाम शामिल हैं।
सूत्रों का कहना है कि दलित होने के नाते और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण प्रदेश कर्नाटक से आने वाले खड़गे पार्टी की पसंद हो सकते हैं, क्योंकि आनंद शर्मा का कार्यकाल भी जल्द ही समाप्त होने वाला है। हालांकि, पार्टी में कुछ लोग कहते हैं कि शर्मा, जो कि एक मुखर सदस्य हैं और हिमाचल प्रदेश से उत्तर भारतीय चेहरा हैं, इसलिए उन्हें यह पद दिया जा सकता है, क्योंकि पार्टी नेतृत्व पत्र लिखने वाले जी23 गुट के साथ तालमेल चाहता है।
पार्टी में व्यापक सुधार लाने के लिए सोनिया गांधी को पत्र लिखने वालों में आजाद और शर्मा सबसे आगे थे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के भी नाम की चर्चा है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी एक सर्वसम्मत उम्मीदवार के रूप में उभर सकते हैं। सिंह, सोनिया गांधी और राहुल गांधी, दोनों के करीब हैं।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी को राज्यसभा में एक मुखर नेता की जरूरत है। सूत्रों का ये भी कहना है कि राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद आजाद जम्मू और कश्मीर की राजनीति में वापस जा सकते हैं, जहां विधानसभा फिलहाल भंग है।
राज्यसभा के लिए नए नेता का चयन करते समय सोनिया गांधी को एक संतुलन बनाने की कोशिश करनी पड़ेगी, क्योंकि राहुल गांधी के दो करीबी नेताओं - महाराष्ट्र से राजीव सातव और के.सी. वेणुगोपाल को राज्यसभा भेजे जाने पर विरोध के सुर उभरने लगे थे।