नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ खूनी झड़प के बाद बदले परिदृश्य़ में कांग्रेस और खासकर राहुल गांधी के नेतृत्व में जिस तरह से सोशल मीडिया पर राजनीति का खेल खेला जा रहा है, वह भारतीय सेना का अपमान प्रतीत होता है। जबकि ऐसे माहौल में सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होकर देश के खिलाफ सिर उठाने वाली ताकतों को कुचलने के लिए तत्पर रहना चाहिए। उधर, सेना ने भी कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लेह दौरे और सैनिकों से मुलाकात को लेकर सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे ट्वीट किये जा रहे हैं जो दुर्भावनापूर्ण और निराधार हैं।
दरअसल तीन जुलाई को प्रधानमंत्री ने लेह का दौरा किया और वहां के अस्पताल में गलवान घाटी में घायल हुए सैनिकों से मिले। पीएम मोदी की इस मुलाकात की तस्वीर पर भी कांग्रेस पार्टी की तरफ से तरह-तरह के कमेंटस् आ रहे हैं। इन कमेंट्स में ऐसी बातें कही जा रही है जिससे किसी भी सेना का मनोबल गिरेगा। पीएम की घायल जवानों से मुलाकात को भी एक प्रायोजित कार्यक्रम के तौर पर पेश किया जा रहा है। कांग्रेस के लोग जो तर्क पेश कर रहे हैं वह झूठ की बुनियाद पर गढ़ा जा रहा है। तस्वीरों में तरह-तरह के कमेंट्स के जरिए ऐसे सवाल उठाए जा रहे हैं जो किसी भी तरह से उचित नहीं है।
एक ट्वीट में तो प्रधानमंत्री जिस हॉल में घायल जवानों से मिले उसपर ही सवाल उठाया गया। इसके बारे में 10 दिन पहले की वह तस्वीर पेश की जा रही है जब सेनाध्यक्ष नरवने घायल जवानों से मिलने गए थे। दरअसल जिस जगह पर पीएम मोदी ने जवानों से मुलाकात की थी वह सेमीनार हॉल था जिसे 10 दिन पहले पेशेंट वार्ड में बदला गया है।
इससे पहले राहुल गांधी ने एक वीडियो ट्वीट किया जिसमें लोग दावा कर रहे थे कि चीन ने हमारी जमीन ले ली है। इस ट्वीट का मतलब साफ था कि सेना झूठ बोल रही है। बाद में पता चला कि वीडियो में जो लोग भी चीन द्वारा भारत की जमीन हड़पने की बात कह रहे थे वे लोग वास्तव में कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं।
ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति नफरत इतनी गहराई में कांग्रेस उतर चुकी है कि उसे यह भी नहीं सूझ रहा है कि वह सेना को भी सियासत में घसीटने की कोशिश कर रही है। जो कि अच्छा संकेत नहीं है।