नयी दिल्ली: कांग्रेस ने एक बार में तीन तलाक कहने के चलन के खिलाफ संसद में लाये गए विधेयक का समर्थन करते हुए आज कहा कि इसे मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए और मजबूत बनाने की जरूरत है। पार्टी ने एक बार में तीन तलाक कहने के दावे को साबित करने का जिम्मा पीड़ित महिला के बजाय पति के ऊपर डाले जाने का सुझाव दिया है।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आज संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस ने तीन तलाक या तलाक ए बिद्दत के मुद्दे को हमेशा इस मापदंड पर आंका है कि महिला अधिकारों की सुरक्षा हो और महिलाओं की बराबरी संविधान सम्मत तरीके से हो । उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने तीन तलाक के बारे में उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया था।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस तीन तलाक को प्रतिबंधित करने वाले कानून का समर्थन करती है। हमारा यह मानना है कि महिलाओं के संगठन और मुस्लिम संगठनों की राय के अनुसार इस कानून को और पुख्ता बनाने की आवश्यकता है। महिला संगठनों की मांग के अनुसार इस कानून को और मजबूत बनाकर इसे और महिला पक्षधर बनाने की जरूरत है।
पार्टी ने इस प्रस्तावित कानून को और मजबूत बनाने के लिए कुछ सुझाव दिये। महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक में मुस्लिम महिला को गुजारा भत्ता देने की बात कही गयी है। किंतु गुजारे भत्ते के निर्धारण का तौर तरीका नहीं बताया गया है। सरकार को इस बारे में व्याख्या करनी चाहिए।
सुष्मिता ने कहा कि 1986 के मुस्लिम महिला संबंधी एक कानून के तहत तलाक पाने वाली महिलाओं को गुजारा भत्ता मिल रहा है। कहीं नये कानून के कारण उन्हें यह गुजारा भत्ता मिलना बंद न हो जाए।
उन्होंने कहा कि मौजूदा विधेयक में तीन तलाक साबित करने की जिम्मेदारी महिला पर डाली गयी है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि मामला महीनों खिंचेगा। गरीब महिलाएं यह साबित करने के लिए अदालतों के चक्कर लगाती रहेंगी कि उन्हें तीन बार तलाक दिया गया कि नहीं। उन्होंने कहा कि यह जिम्मेदारी पति पर क्यों नहीं डाल दी जानी चाहिए? इससे यह कानून और कठोर एवं महिलाओं के पक्ष में हो जाएगा।
पार्टी ने कहा कि इस विधेयक में पति को तीन साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है। महिला संगठन यह कह रहे हैं कि यदि पति जेल चला गया तो उसकी पत्नी एवं बच्चों का गुजारा भत्ता कौन देगा? क्या महिला पति की संपत्ति से गुजारा भत्ते का धन ले सकती है, इस बारे में प्रस्तावित कानून में कोई प्रावधान नहीं किया गया है।
कानून मंत्री रवि शंकर ने आज लोकसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक पेश किया। विधेयक में मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने तथा उनके पतियों द्वारा तलाक की उद्घोषणा द्वारा विवाह विच्छेद का निषेध करने का प्रावधान किया गया है।