नई दिल्ली: कांग्रेस ने प्रवासी मजदूरों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए एक आदेश का हवाला देते हुए मंगलवार को कहा कि लॉकडाउन के समय प्रवासियों के संकट से निपटने के ‘अक्षम्य’ तौर-तरीके के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्रमिकों से माफी मांगनी चाहिए। साथ ही पार्टी ने मांग की कि केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार को बर्खास्त किया जाना चाहिए। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान में कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट का आदेश सरकार के लिए जागने का समय है और इससे मोदी सरकार की ओर से प्रवासी श्रमिकों की उपेक्षा करके जो पाप किया गया है, उससे भी पर्दा हट गया है।’
‘प्रवासी मजदूरों से माफी मांगें पीएम मोदी’
सुरजेवाला ने आदेश के एक हिस्से का उल्लेख करते हुए दावा किया, ‘न्यायालय ने प्रवासी संकट से मोदी सरकार के निपटने के तौर-तरीके को अक्षम्य करार दिया है। अब समय आ गया है कि प्रधानमंत्री मोदी शहरी भारत के निर्माता प्रवासी मजदूरों से माफी मांगें। प्रश्न यह पैदा होता है कि क्या श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार को एक सेकेंड के लिए भी अपने पद पर बने रहने का अधिकार है? उन्हें बर्खास्त क्यों नहीं किया जाए? आपदा प्रबंधन के लिए उत्तरदायी गृह मंत्री अमित शाह की जिम्मेदारी क्यों नहीं तय की जाए? क्या वह समान रूप से जिम्मेदार नहीं हैं?’ उन्होंने यह भी कहा कि इस फैसले से केंद्र सरकार द्वारा खाद्य सुरक्षा कानून को कमतर करने का प्रयास भी बेनकाब हुआ है।
‘न्यायालय का आदेश स्वागत योग्य है’
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि उनकी पार्टी की मांग है कि एनएसएस उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण के ताजा आंकड़े एक सप्ताह के भीतर सार्वजनिक किए जाएं। उन्होंने कहा कि सभी राज्यों को समय से और उचित मात्रा में अनाज आवंटित करने के न्यायालय का आदेश स्वागत योग्य है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 31 जुलाई तक ‘एक देश, एक राशन कार्ड योजना’ लागू करने का मंगलवार को निर्देश दिया। साथ ही केंद्र को कोविड-19 की स्थिति जारी रहने तक प्रवासी मजदूरों को नि:शुल्क वितरण के लिए सूखा राशन उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया।
3 कार्यकर्ताओं की याचिका पर कोर्ट ने दिए निर्देश
जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने 3 कार्यकर्ताओं की याचिका पर कई निर्देश पारित किए जिसमें केंद्रों और राज्यों को प्रवासी मजदूरों के लिए खाद्य सुरक्षा, कैश ट्रांसफर और अन्य कल्याणकारी उपाय सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। याचिका में कहा गया कि प्रवासी मजदूर कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में कर्फ्यू और लॉकडाउन लगाए जाने के कारण संकट का सामना कर रहे हैं। पीठ ने महामारी की स्थिति बनी रहने तक प्रवासी मजदूरों के बीच मुफ्त वितरित करने के लिए केंद्र को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को अनाज आवंटित करते रहने को कहा। (भाषा)