नई दिल्ली: महंगे तेल के पीछे मोदी सरकार द्वारा UPA सरकार द्वारा जारी किए गए ऑयल बॉन्ड को वजह बताए जाने पर सियासत गरमा गई है। इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता अजय माकन ने आज प्रेस को संबेधित किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने पेट्रोल डीजल पर सब्सिडी को 12 गुना घटा दिया और टैक्स 3 गुना बढ़ा दिया है। केंद्र को 2020-21 में 4.53 लाख करोड़ रुपए की टैक्स कलेक्शन पेट्रोल और डीजल से हुई है। उनका कहना है कि कोरोना काल के दौरान पेट्रोल डीजल की बिक्री घटी लेकिन इसके बावजूद इतनी टैक्स कलेक्शन हुई है।
अजय माकन ने कहा, "कांग्रेस के शासन का जो अंतिम वर्ष था उसमें 1.72 लाख करोड़ रुपए का टैक्स कलेक्शन हुआ था। हमारे अंतिम वर्ष में सब्सिडी 1.47 लाख करोड़ रुपए की थी जो इस साल सिर्फ 12000 करोड़ रुपए बची है। सरकार ने कार्पोरेट टैक्स को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत किया, एक लाख करोड़ रुपए का कार्पोरेट टैक्स कलेक्शन घटा है और उसकी भरपाई के लिए साधारण जनता पर बोझ डाला जा रहा है।"
माकन ने कहा, "कार्पोरेट टैक्स 2017-18 में कुल जीडीपी का 3.34 प्रतिशत था जो 2020-21 में घटकर 2.32 प्रतिशत रह गया है, 2019 सितंबर में कार्पोरेट टैक्स के बेस रेट को घटाया गया था और इसका खामियाजा जनता की जेब पर पड़ रहा है। 2014-15 से लेकर अबतक 7 सालों में ऑयल बॉन्ड की सर्विसंग और इंटरेस्ट पेमेंट के लिए 73400 करोड़ रुपए खर्च हुआ है, 7 वर्ष में टैक्स कलेक्शन 22.34 लाख करोड़ रुपए हुआ है।"
माकन ने यह भी कहा कि ऑयल बॉन्ड पहली बार 9000 करोड़ रुपए का बाजपेई की सरकार में फ्लोट किया गया था और उसकी रीपेमेंट डेट 2009 में थी जिसे हमने दिया। बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल-डीजल की आसमानी कीमत को लेकर कहा था कि फिलहाल इसपर किसी तरह की टैक्स कटौती नहीं की जाएगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि पेट्रोल-डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में इस समय राहत नहीं मिलेगी। साथ में उन्होंने यह भी कहा कि UPA सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमत में कटौती करने के लिए 1.44 लाख करोड़ का ऑयल बॉन्ड जारी किया था।
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