नई दिल्ली: स्वतंत्रता दिवस से पहले सोमवार को इंडिया टीवी के कॉन्क्लेव Jai Hind with India TV में देश में मुसलमानों की स्थिति पर गंभीर चर्चा हुई। इस चर्चा में राज्यसभा सांसद और संघ विचारक राकेश सिन्हा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी और मुस्लिम स्कॉलर मौलाना महमूद मदनी ने हिस्सा लिया। देश में मुसलमानों की स्थिति और सरकार पर उनके साथ लग रहे भेदभाव के आरोपों के जवाब में राकेश सिन्हा ने कहा, 'किसी व्यक्ति या सरकार को उसके कामों के जरिए आंकना चाहिए, उसके बारे में क्या धारणा है इससे नहीं। 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद किस योजना को किसी खास धर्म के लिए लाया गया और दूसरे को उससे अलग रखा गया? धर्म के आधार पर तोड़ने और जोड़ने की बात गलत है।' विदेशी घुसपैठियों के सवाल पर सिन्हा कहा कि एनआरसी को हिंदू और मुसलमान के आईने में नहीं देखना चाहिए।
देश में मुसलमानों की असुरक्षा पर चल रही बहस के सवाल के जवाब में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने कहा, ‘अटल जी भी भाजपा और आरएसएस से ही थे लेकिन जब वह प्रधानमंत्री थे तब कभी यह बहस नहीं हुई कि भारत में मुसलमान असुरक्षित है। इस देश के अंदर ऐसा माहौल कभी नहीं हुआ। भाजपा हिंदुस्तान में न मुसलमान की है और न हिंदू की है। यह पार्टी हिंदू और मुसलमान दोनों ही समुदायों को बेवकूफ बना रही है। प्रधानमंत्री कहते हैं कि लिंचिंग बर्दाश्त नहीं की जाएगी लेकिन दूसरी तरफ लिचिंग होती है। जहां तक एनआरसी का सवाल है, तो यह मुद्दा चुनावों के ठीक पहले ही क्यों उठाया गया? इतने सालों से आप क्या कर रहे थे?’
भारत में मुसलमानों की स्थिति के बारे में बोलते हुए मौलाना महमूद मदनी ने कहा, ‘किसी के कहने से भारत का मुसलमान खत्म नहीं होगा। भारत का मुसलमान किसी भी पड़ोसी देश के मुकाबले अच्छी स्थिति में है। भारत का मुसलमान किसी सरकार या राजनीतिक पार्टी के भरोसे नहीं है।’ एक अन्य सवाल के जवाब में मदनी ने कहा, 'कहने के लिए तो सभी सेक्युलर है, बीजेपी भी सेक्युलर है, आप उनका कॉन्स्टिट्यूशन उठाकर देख लीजिए। चार साल का हिसाब मोदी से मांगा जाएगा तो 40 साल का हिसाब कांग्रेस से भी मांगा जाएगा।'