रायपुर: केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार का एक साल पूरा होने जा रहा है। एक साल में छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ सांसद रमेश बैस ने लोकसभा में एक भी सवाल नहीं पूछा, जबकि सबसे कम उम्र के सांसद व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह ने 20 सवाल पूछकर क्षेत्र की समस्याओं को उठाने का प्रयास करते रहे हैं।
16वीं लोकसभा में छत्तीसगढ़ के सांसदों के अब तक के कामकाज का लेखाजोखा देखा जाए तो एक बात सामने आ रही है कि सातवीं बार सांसद चुने गए रमेश बैस पिछले तीन लोकसभा सत्रों में चुप बैठे रहे।
राज्य से एकमात्र महिला सांसद कमला पाटले ने 176 सवाल पूछकर सबसे सक्रिय सांसद होने का परिचय दिया है, तो विपक्ष के एकमात्र सांसद ताम्रध्वज साहू ने भी 27 सवाल पूछे।
लोकसभा चुनाव में छग से 11 सांसदों में 10 सीटों पर भाजपा प्रत्याशी विजयी रहे थे तो केवल एक दुर्ग लोकसभा से कांग्रेस से ताम्रध्वज साहू ने अपनी जीत दर्ज की थी। उन्होंने एक भी सवाल नहीं पूछा और केवल एक बहस में ही हिस्सा लिया। वहीं सबसे युवा सांसद अभिषेक सिंह ने एक बहस में हिस्सा लिया और 20 सवाल पूछे।
देश के सर्वाधिक नक्सली प्रभावित आदिवासी क्षेत्र के सांसद दिनेश कश्यप ने केवल तीन सवाल ही संसद में पूछे। जांजगीर-चांपा से सांसद कमलादेवी पाटले ने न केवल 9 बहसों में हिस्सा लिया, वहीं 176 सवाल भी पूछे।
डॉ. चरणदास महंत को पराजित कर सांसद बनने वाले बंशीलाल महतो ने 65 सवाल किए तो सरगुजा के कमलभान सिंह ने केवल दो सवाल किए।
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को लोकसभा चुनाव में पराजित करने वाले चंदूलाल साहू ने मात्र 4 सवाल किए तो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला को पराजित करने वाले लखनलाल साहू ने 3 सत्र में केवल एक सवाल किया। कांकेर लोकसभा के सांसद विक्रम उसेंडी ने 12 सवाल पूछे।
भाजपा की वरिष्ठ नेत्री सरोज पांडे को पराजित करने वाले प्रदेश के एकमात्र कांग्रेसी सांसद ताम्रध्वज साहू ने 8 बहसों में हिस्सा लिया तो 27 सवाल भी पूछे।
रमेश बैस 7वीं बार लोकसभा में पहुंचे हैं। पूर्व में श्यामाचरण शुक्ल व विद्याचरण शुक्ल जैसे दिग्गजों को पराजित कर चुके बैस की इस बार लोकसभा में चुप्पी चर्चा का विषय है।
सूत्रों की मानें तो वरिष्ठ होने के बाद भी उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिलने से वे कुछ नाराज बताए जाते हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि दूसरी पार्टी से आए और पहली बार सांसद बने लोग भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं, लेकिन बैस को नजरअंदाज किया गया है।