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उपनिवेशवाद की मानसिकता देश के विकास में रुकावट, तोड़ती है करोड़ों आशाएं: पीएम मोदी

पीएम ने कहा, इसका नुकसान उस मां को भुगतना पड़ता है जिसका बच्चा बिजली प्लांट नहीं लगने के कारण पढ़ नहीं पाता।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : November 26, 2021 19:42 IST
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Image Source : PTI प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उपनिवेशवाद की मानसिकता देश के विकास में एक रुकावट है।

Highlights

  • प्रधानमंत्री ने कहा कि उपनिवेशवाद की मानसिकता से करोड़ों आशांए टूटती हैं।
  • मोदी ने कहा, जी-20 देशों में अच्छे से अच्छा काम करने वाला देश भारत है।
  • कभी रेगिस्तान के रूप में जाने जाने वाला कच्छ आज एग्रो एक्सपोर्ट की वजह से अपनी पहचान बना रहा है: मोदी

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान दिवस पर विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि उपनिवेशवाद की मानसिकता देश के विकास में एक रुकावट है। उन्होंने कहा, ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल ने मां नर्मदा पर इस तरह के डैम का सपना देखा था, पंडित नेहरू ने इसका शिलान्यास किया था, लेकिन यह परियोजना दशकों तक अपप्रचार में फंसी रही,  पर्यावरण के नाम पर चले आंदोलन में फंसी रही, न्यायालय तक इसमें निर्णय लेने में हिचकचाते रहे, विश्वबैंक ने भी इसको पैसे देने से मना कर दिया था। उसी नर्मदा के पानी से कच्छ में जो विकास हुआ, उसकी वजह से हिंदुस्तान के तेजी से बढ़ रहे जिलों में कच्छ एक जिला है।’

‘कोलोनियल मानसिकता अभी समाप्त नहीं हुई है’

मोदी ने कहा, ‘कभी रेगिस्तान के रूप में जाने जाने वाला कच्छ आज एग्रो एक्सपोर्ट की वजह से अपनी पहचान बना रहा है, इससे बड़ा ग्रीन अवॉर्ड और क्या हो सकता है? भारत के लिए और विश्व के अनेक देशों के लिए उपनिवेशबाद की बेड़ियों में जकड़े हुए जीना एक मजबूरी थी, भारत की आजादी के समय से पूरे विश्व में एक पोस्ट कॉलोनियनल कालखंड की शुरुआत हुई। कोलोनियल मानसिकता अभी समाप्त नहीं हुई है और इसका सबसे ताजा उदाहरण हमें विकाशील देशों के विकास में आ रही बाधाओं में दिख रहा है। जिस मार्ग पर चलते हुए विकसित विश्व आज जिस मुकाम पर पहुंचा है आज वही साधन विकासशील देशों के लिए बंद किए जाने की साजिश हो रही है।’

उत्सर्जन के मुद्दे पर भी जमकर बोले पीएम मोदी
मोदी ने कहा, ‘पर्यावरण के विषय को भी इसी काम के लिए हाईजैक करने का प्रयास हो रहा है। कुछ सप्ताह पहले हमने COP-26 में इसका उदाहरण देखा। विकसित देशों ने मिलकर 1850 से अबतक भारत से 15 गुना अधिक उत्सर्जन किया है, अगर हम प्रति व्यक्ति के आधार पर देखें तो विकसित देशों ने भारत के मुकाबले 15 गुना ज्यादा उत्सर्जन किया है। अमेरिका और यूरोपीय संघ ने मिलकर भारत की तुलना में 11 गुना अधिक उत्सर्जन किया है। इसमें भी प्रति व्यक्ति आधार बनाया जाए तो अमेरिका और यूरोपीय संघ ने भारत की तुलना में 20 गुना ज्यादा उत्सर्जन किया है।’

‘भारत की संस्कृति में प्रकृति के साथ जिया जाता है’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत की संस्कृति में प्रकृति के साथ जिया जाता है, जिस भारत में प्रकृति के कण कण में परमात्मा देखा जाता है, जहां धरती को मां के रूप में पूजा जाता है, उस भारत को पर्यावरण संरक्षण के उपदेश सुनाए जाते हैं। हमारे लिए यह मूल्य सिर्फ किताबी बातें नहीं हैं, आज भारत में शेर, टाइगर डॉलफिन की संख्या लगातार बढ़ रही है, वन क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है, गाड़ियों के ईंधन के मानक को हमने अपनी इच्छा से बढ़ाया है। पेरिस समझौते के लक्ष्य को समय से पहले प्राप्त करने की ओर अग्रसर अगर कोई है तो सिर्फ भारत है।’

‘विकास के रास्ते बंद करने की कोशिश होती है’
मोदी ने कहा, ‘जी-20 देशों में अच्छे से अच्छा काम करने वाला देश भारत है, और फिर भी ऐसे भारत को पर्यावरण के नाम पर तरह तरह के दबाव बनाए जाते हैं और ये सब उपनिवेशवाद मानसिकता का काम है। हमारे देश में भी ऐसी ही मानसिकता के चलते विकास में रोड़े अटकाए जाते हैं, कभी फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन के नाम पर तो कभी किसी और चीज का सहारा लेकर। कई बार दूसरे देशों के बेंचमार्क पर भारत को तोला जाता है और इसकी आड़ में विकास के रास्ते बंद करने की कोशिश होती है।’

‘उपनिवेशवाद की मानसिकता को दूर करना ही होगा’
पीएम ने कहा, ‘इसका नुकसान उस मां को भुगतना पड़ता है जिसका बच्चा बिजली प्लांट नहीं लगने के कारण पढ़ नहीं पाता, उस मध्यमवर्गीय परिवार को जिसके लिए आधुनिक जीवन की सुविधाएं पर्यावरण के नाम पर रोक दी जाती है। उपनिवेशवाद की मानसिकता से करोड़ों आशांए टूटती हैं। विकास की राह में उपनिवेशवाद की मानसिकता बहुत बड़ी बाधा है और हमें उपनिवेशवाद की मानसिकता को दूर करना ही होगा। इसके लिए सबसे बड़ा स्रोत हमारा संविधान ही है।’

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