लखनऊ: यूपी के मगहर में आज संत कबीर की मजार पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खादिम ने टोपी पहनाने की कोशिश की लेकिन योगी ने टोपी पहनने से इंकार कर दिया जिसके बाद सियासत शुरू हो गई। असल में कबीरदास की 500वीं पुण्यतिथि के मौके पर कल प्रधानमंत्री मोदी मगहर आने वाले हैं। मगहर में मोदी की पब्लिक मीटिंग होगी, वो कबीर की मजार पर भी जाएंगे इसलिए प्रधानमंत्री के कार्यकर्म की तैयारियों का जायजा लेने के लिए योगी आज खुद मगहर गए थे। इसी दौरान वो संत कबीर की मजार पर भी पहुंचे लेकिन जैसे ही अंदर आए वहां मौजूद खादिम ने उन्हें टोपी ऑफर कर दी। योगी आदित्यनाथ ने यही टोपी पहनने से इनकार कर दिया हालांकि जब विनती की गई कि कम से कम टोपी हाथ में ले लीजिए तब योगी ने टोपी हाथ में पकड़ ली। बस इन्हीं तस्वीरों को लेकर विरोधियों ने योगी पर निशाना साधा।
टोपी नहीं पहनने को लेकर योगी पर पहला हमला समाजवादी पार्टी ने किया। पार्टी के नेता सुनील साजन ने कहा कि योगी को दरअसल सारी टोपियां एक जैसी लगती हैं। योगी पाखंड में फंसे हुए हैं ऐसे लोगों को कबीरधाम नहीं जाना चाहिए। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि किसी को जबरदस्ती टोपी नहीं पहनानी चाहिए। पहले मोदी ने टोपी पहनने से इंकार किया था अब योगी ने कर दिया। प्रमोद तिवारी ने कहा कि टोपी पहनने से कोई छोटा या बड़ा नहीं हो जाता ये सिर्फ मान सम्मान का प्रतीक है।
विरोधियों को जवाब दिया योगी के मंत्री मोहसिन रजा ने। रजा ने कहा वो खुद मुसलमान है लेकिन टोपी नहीं पहनते और जो लोग बार बार ऐसे मौकों पर टोपी पहनाने की कोशिश करते हैं उन्हें अपनी सोच बदलना चाहिए। हालांकि योगी के टोपी नहीं पहनने पर मुस्लिम धर्मगुरु खालिद रशीद फिरंगी महली ने बड़ी बात कही। फिरंगी महली ने कहा कि इस तरह टोपी नहीं पहनानी चाहिए। लोगों को अपने धर्म का सम्मान करते हुए दूसरों के धर्म का आदर भी करना चाहिए।
हो सकता है योगी की ये तस्वीरें कल बड़ा सियासी मुद्दा बन जाए लेकिन कल कबीर दास जी की 500 वीं पुण्यतिथि है। प्रधानमंत्री कल कबीर की मजार पर जाएंगे। कबीर से जुड़ा एक रोचक तथ्य आपको बता दें कि कबीर की पूरी जिंदगी काशी में बीती। काशी के बारे में कहा जाता है कि जो इंसान यहां अपने प्राण त्यागता है वो सीधे स्वर्ग जाता है जबकि मगहर के बारे में कहा जाता है कि वहां मरने वाला नरक जाता है। कबीर अपनी पूरी जिंदगी अंधविश्वास से लड़ते रहे। ये बात उन्होंने काशी और मगहर के बारे में प्रचलित मान्यताओं को लेकर भी साबित की। अपनी जिंदगी के आखिरी दिनों में कबीर मगहर चले गए और यहीं उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली।