नई दिल्ली: भारत-चीन के बीच जारी तनाव पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा दिया बयान अब तूल पकड़ता जा रहा है। पहले सशस्त्रों बलों के सेवानिवृत्त अधिकारियों के एक समूह ने उनके बयानों की कड़ी निंदा करते हुए राहुल के बयानों को गलत सोच से प्रभावित और राष्ट्रीय हितों के खिलाफ बताया। वहीं अब लद्दाख से बीजेपी सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल ने राहुल को जवाब देते हुए ट्वीट किया कि 'हां, चीन ने ये इलाके कब्जाए हैं।' इसके बाद उन्होंने उन जगहों की लिस्ट दी जो उनके मुताबिक, कांग्रेस के शासनकाल में गंवा दी गईं। इसमें अक्साई चिन से लेकर पैंगनक और चबजी घाटी, दूम चेले जैसे इलाकों का उदाहरण दिया है।
उन्होंने दो तस्वीरें ट्वीट करते हुए एक में जवाब दिया और दूसरे में देमचोक घाटी का जिक्र किया। इसके साथ हीं उन्होंने दावा किया कि इन इलाकों पर कांग्रेस के वक्त में चीन ने कब्जा कर लिया।
उन्होंने ट्वीट किया, "1962 में कांग्रेस राज के दौरान अक्साई चिन (37,244 किलोमीटर), यूपीए राज में 2008 तक चुमूर इलाके के तिया पैंगनक और चाबजी घाटी (250 मीटर लंबाई), यूपीए काल में 2008 में चीनी सीना ने देमजोक में जोरावर किले को ध्वस्त किया और 2012 में PLA ने ऑब्जर्विंग पॉइंट बना लिया। 13 सीमेंटेड घरों के साथ चीनी/न्यू देमजोक/कॉलोनी बसी और यूपीए राज में भारत ने दुंगटी और देमचोक के बीच दूम चेले (एंशियंट ट्रेड पॉइंट) को गंवाया।"
इससे पहले सशस्त्रों बलों के सेवानिवृत्त अधिकारियों के एक समूह ने कहा कि चीन के साथ सीमा विवाद पर कांग्रेस नेता के ट्वीट और बयान उनकी अज्ञानता प्रकट करते हैं या फिर पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जमाने में हुई ऐतिहासिक भूलों को नजरअंदाज करने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हैं।
9 सेवानिवृत्त अधिकारियों, जिनमें नितिन कोहली, लेफ्टिनेंट जनरल आरएन सिंह और मेजर जनरल एम श्रीवास्तव शामिल हैं, ने एक अधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा, "हम सीनियर आर्म्ड फोर्सेज वेटरंस के ग्रुप के तौर पर राहुल गांधी के भारत-चीन सीमा विवाद से निपटने को लेकर हमारी सेना और सरकार पर सवाल उठाने वाले बयानों और ट्वीट की कड़ी निंदा करते हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "उनके बयान हमारे राष्ट्रीय हितों के लिए काफी नुकसानदायक हैं। राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं ने अतीत में भी भारतीय सशस्त्र बलों के ग्राउंड और एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाया था।" उन्होंने पूछा, "क्या राहुल गांधी नहीं जानते हैं कि नेहरू ने तिब्बत को प्लेट में सजाकर चीन को सौंप दिया था और चीन ने अक्साई चीन में सड़कें बना लीं, बाद में इस पर तब कब्जा कर लिया जब नेहरू प्रधानमंत्री थे?"
इस बीच भारत और चीन की सेनाओं ने सीमा पर गतिरोध के शांतिपूर्ण समाधान के अपने संकल्प को प्रदर्शित करते हुए पूर्वी लद्दाख के कुछ गश्त बिंदुओं से सांकेतिक वापसी के तौर पर अपने सैनिकों को वापस बुलाया है। वहीं, इस मुद्दे पर दोनों पक्ष आज एक और दौर की मेजर जनरल स्तर की वार्ता करने वाले हैं। गलवान घाटी, पैंगोंग सो, दौलत बेग ओल्डी और डेमचोक जैसे इलाकों में दोनों सेनाओं का आक्रामक रुख बरकरार है और आने वाले कुछ दिनों में इस गतिरोध को खत्म करने का समाधान तलाशने के लिये बातचीत के कई दौर होंगे।