चीन ने डोकलाम विवाद पर भारत का समर्थन करने के लिए जापान को खरी खोटी सुनाई है। चीन ने जापान से कहा है कि वह पहले तथ्यों की जांच परख करे फिर समर्थन करे। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि जापान को ऐसी बयानबाज़ी से गुरेज़ करना चाहिए।
ग़ौरतलब है कि भारत में जापान के राजदूत ने डोकलाम पर भारत के पक्ष का समर्थन किया है और कहा है कि किसी को भी बल प्रयोग कर यथास्थिति को नहीं बदलना चाहिए। जब इस बाबात पूछा गया तो चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा, "मैंने इन ख़बरों को देखा है। भारत में जापान के राजदूत शायद भारत के समर्थन में बोलना चाहते हों लेकिन मैं उन्हें चेतावनी देना चाहती हूं कि कुछ भी बोलने से पहले तथ्यों की जांच-परख कर लें।"
चीनी प्रवक्ता ने फिर दोहराया कि भारत को पहले अपनी सेना और मशीनें पीछे हटानी होंगी तभी कोई सकारात्मक बातचीत संभव है। प्रवक्ता ने कहा, "मैं कई चीज़ों पर ज़ोर देती हूं, सबसे पहले तो यह कि सिक्किम से सटी हुई भारतीय सीमा पर डोंगलांग को पिछले 127 सालों से पारस्परिक सीमा रेखा के रूप में देखा जाता रहा है और जिसे दोनों पक्ष मानते आए हैं। दूसरा, यह चीन नहीं बल्कि भारत है जिसने अवैध रूप से सीमा का अतिक्रमण कर हमें उकसाने और यथास्थिति को बदलने का काम किया है। तीसरा, चीन की मांग है कि भारत अवैध रूप से सीमा पार किए अपने सभी लोगों और उपकरणों को वापस ले, और किसी भी निर्णायक बातचीत शुरू करने के लिए यह हमारी पहली शर्त है।"
इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत ने न तो कभी किसी देश पर आक्रमण किया और न ही भारत की अपने सीमा विस्तार की कोई इच्छा ही है।
राजनाथ सिंह दिल्ली में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के एक कार्यक्रम में कहा, "सेना, आईटीबीपी सभी अपने काम में लगे हुए हैं। सीमा पर रहने वाले भारतीयों के साथ अच्छे संबंध बनाने का कार्य करते हैं। सुरक्षा बल किसी भी स्थिति का मुक़ाबला करने में सक्षम हैं।"
राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि चीन सकारात्मक पहल करेगा और शांति कायम होगी। राजनाथ ने कहा कि भारत और चीन के बीच डोकलाम में जारी गतिरोध को 'शीघ्र ही सुलझा लिया जाएगा। हम युद्ध नहीं, शांति चाहते हैं।"
आपको बता दें कि भारत और चीन की सेनाओं के बीच जून से ही डोकलाम में गतिरोध चल रहा है।