Monday, December 23, 2024
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दलित मुद्दे पर सरकार ने जानबूझकर लगाई देर, संसद में ला सकती थी संशोधन: कांग्रेस

कांग्रेस ने केंद्र की एनडीए सरकार पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (उत्पीड़न निवारण) अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उत्पन्न स्थिति से निबटने में जानबूझकर देर करने का आरोप लगाया है...

Reported by: Bhasha
Published : April 02, 2018 20:03 IST
Congress leader Ghulam Nabi Azad | PTI File Photo
Congress leader Ghulam Nabi Azad | PTI File Photo

नई दिल्ली: कांग्रेस ने केंद्र की एनडीए सरकार पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (उत्पीड़न निवारण) अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उत्पन्न स्थिति से निबटने में जानबूझकर देर करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने कहा कि सरकार चाहती तो अभी तक संसद में संशोधन लाकर उसे वैसे ही पारित करवा लेती जैसे उसने वित्त विधेयक को पारित करवाया। पार्टी ने SC/ST ऐक्ट को कथित रूप से शिथिल करने के विरोध में दलित संगठनों द्वारा सोमवार को देश भर में किए गए विरोध प्रदर्शनों के दौरान जान-माल के नुकसान के लिए केंद्र सरकार को जिममेदार ठहराया और कहा कि वह इस मुद्दे को हल्के में ले रही है।

‘जान-माल के नुकसान के लिए सरकार जिम्मेदार’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं गुलाम नबी आजाद एवं मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को आरोप लगाया कि मोदी सरकार की दलितों एवं समाज के कमजोर वर्गों के कल्याण में ‘कोई रूचि नहीं है।’ राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष आजाद ने दलित संगठनों द्वारा किए गए बंद का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत बंद सरकार के खिलाफ है, सरकार की कमजोरी, उसकी खामोशी के खिलाफ है और यह पूरी तरह सफल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस किसी भी तरह की हिंसा का समर्थन नहीं करती। उन्होंने कहा, ‘आज जो जान-माल का नुकसान देश में हुआ है उसके लिए भी यह सरकार जिम्मेदार है।’ उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए समुचित कदम उठाए होते कि SC/ST ऐक्ट कमजोर या शिथिल न हो तो आज का राष्ट्रव्यापी बंद टल सकता था।

‘सरकार चाहती तो संशोधन ला सकती थी’
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यदि सरकार चाहती तो अभी तक संसद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ संशोधन ला सकती थी। उन्होंने कहा कि जिस तरह इस बार वित्त विधेयक को पारित किया गया, उसी तरह यह विधेयक भी पारित कराया जा सकता था। कांग्रेस नेता ने कहा कि यदि संसद में सरकार ऐसा कोई विधेयक लाती तो शायद ही कोई पार्टी उसका विरोध करती। खड़गे ने कहा कि सरकार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनरीक्षा याचिका पहले ही डाल देनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि उसे सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण पीठ के समक्ष उपचारात्मक याचिका दायर करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले में दलित वर्ग का पक्ष ढंग से रखना चाहिए।

रामविलास पासवान के आरोप पर यह बोले खड़गे
केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान द्वारा संविधान निर्माता भीमराव रामजी अंबेडकर को भारत रत्न नहीं देने और उनकी तस्वीर संसद के केंद्रीय कक्ष में नहीं लगाने के कांग्रेस सरकारों पर लगाए गए आरोप पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए खड़गे ने कहा कि फोटो लगाने या मूर्ति लगाने से देश की 25 करोड़ आबादी (दलितों की) का उत्थान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकारों के शासनकाल में तमाम ऐसे कानून बनाए गए जिनसे इन वर्गों को काफी लाभ मिला। पासवान ने सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि दलित के मुद्दों को लेकर उन्हें भाजपा पर हमला करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है क्योंकि उनकी पार्टी ने दलित समाज या बी आर अंबेडकर के लिए कुछ भी नहीं किया है।

जानें, क्यों जल रहा है देश?
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति उत्पीड़न निरोधक कानून की कुछ धाराओं को अपने 20 मार्च के फैसले के माध्यम से शिथिल किया था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस कानून के तहत सरकारी कर्मचारी की गिरफ्तारी के लिए पूर्व अनुमति लेनी होगी जबकि सामान्य नागरिक की गिरफ्तारी से पहले भी कानून के तहत समुचित जांच जरूरी होगी। SC/ST ऐक्ट को कथित तौर पर शिथिल किए जाने के विरोध में दलित संगठनों के राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान सोमवार को हिंसक प्रदर्शन हुए जिसमें जानमाल का काफी नुकसान होने की खबरें हैं।

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