चंडीगढ़: पंजाब कांग्रेस में नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच जारी सियासी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। पंजाब सरकार ने उनपर शिकंजा कसने की पूरी तैयारी कर ली है। विजिलेंस विभाग एक्टिव हो गया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी है। सूत्रों ने बताया है कि नवजोत सिंह सिद्धू के स्थानीय निकाय विभाग के मंत्री रहने के दौरान के कुछ मामलों को लेकर जल्द ही उनसे और उनकी पत्नी समेत उनके कई करीबियों से पूछताछ हो सकती है।
नवजोत सिंह सिद्धू पर उनके मंत्री रहते हुए संबंधित महकमे में कई तरह की गड़बड़ियां करने और करीबियों समेत अन्य कई लोगों को फायदा पहुंचाने के आरोप हैं। ऐसे में पहले से दर्ज मामले में विजिलेंस विभाग ने जांच तेज कर दी है। अब जल्द ही सिद्धू समेत उनके कई करीबियों से पूछताछ हो सकती है। INDIA TV के पास विजिलेंस विभाग के गुप्त दस्तावेज और सिद्धू के मंत्री रहते हुए हुई गड़बड़ियों का पूरा लेखा-जोखा है।
विजिलेंस की रडार पर सिद्धू के करीबी
- रुपिंदर सिंह उर्फ बन्नी संधू (सिद्धू के दोस्त और पूर्व ओएसडी)
- गौरव वासुदेव (सिद्धू के पीए)
- राजीव कुमार (सिद्धू के करीबी)
- गिरीश (सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर के पीए)
- जसमीत सोढ़ी (सिद्धू के करीबी)
- अंगद सिंह सोही (सिद्धू के पीए)
सिद्धू के स्थानीय निकाय मंत्री रहते हुए रुपिंदर सिंह उर्फ बन्नी संधू महकमे में सक्रिय थे। उन पर बड़े कॉमर्शियल प्रोजेक्ट मैनेज करने, सीएलयू फाइल को मंजूरी दिलवाने और मोहाली के जीरकपुर तथा डेराबस्सी में बिल्डर्स के साथ सांठगांठ करने का आरोप है। वहीं, नवजोत कौर सिद्धू के निजी पीए गौरव वासुदेव पर भी कई आरोप हैं।
गौरव वासुदेव पर प्रोजेक्ट्स को नियमों के खिलाफ मंजूरी दिलाने, अमृतसर में नियमों के खिलाफ बाज़ार की कीमत से कम दाम में दो बूथ हासिल करने, बूथ किराये पर लेकर फिर आगे किराए पर देने और पानी के भाव पर एडवरटाइजमेंट का टेंडर हासिल करने का आरोप है।
इसके अलावा नवजोत कौर के दूसरे पीए गिरीश के साथ कंस्ट्रक्शन बिजनेस में भूमिका निभाने का भी आरोप है। आरोप है कि नियमों के खिलाफ गौरव एंड गिरीश कंस्ट्रक्शन को काम मिला था। उन्हें अमृतसर में गली निर्माण और स्ट्रीट लाइट का टेंडर मिला था।
सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि मोहाली के जीरकपुर, डेराबस्सी, नयागांव में लैंड डील जांच के घेरे में है। आरोप है कि इसमें नियमों के खिलाफ जाकर सिद्धू के करीबियों को जरूरी मंजूरियां मिली थीं। मंजूरियों के लिए पैसे का गलत ढंग से लेन-देन किया गया था।
मोहाली के जीरकपुर में कुछ बिल्डरों को गलत तरीके से कमर्शियल प्रोजेक्ट देना का भी आरोप है। इनमें जरूरी प्रक्रियाओं की अनदेखी की गई है। हर स्तर पर पैसे का गलत लेन-देन हुआ है। वहीं, अमृतसर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट में भी गड़बड़ियों और धांधलियों के आरोप हैं।
सूत्रों ने बताया कि अमृतसर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट में चहेती कंपनी को कौड़ियों के दामों पर विज्ञापन का टेंडर दिया गया। करीबियों को गली निर्माण और स्ट्रीट लाइट का गलत तरीके से टेंडर दिया गया। इतना ही नहीं, नियमों को ताक पर रखकर ट्रस्ट के प्लॉट की अदला-बदली तक की गई।