बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर गिरीश चंद्र त्रिपाठी का कहना है कि अगर हम हर छात्रा की मांग को सुनने लगे तो हम युनिवर्सिटी ही नहीं चला पाएंगे। उन्होंने कहा कि लड़कियों के लिए कर्फ़्यू रात 8 तक है जबकि लड़कों के लिए 10 तक है। लड़कों और लड़़कियों के लिए सुरक्षा एक समान नहीं हो सकती। ये नियम लड़कियों की सुरक्षा के लिए ही हैं।
गिरीश चंद्र त्रिपाठी का कहना है कि यूनिवर्सिटी का कैंपस इतना बड़ा है कि कहीं भी कुछ हो सकता है और हम हर छात्र के लिए गार्ड तैनात नहीं कर सकते। एक प्रमुख अंग्रेज़ी दैनिक के अनुसार त्रिपाठी ने कहा कि कैंपस में 10,000 छात्राएं रहती हैं, हम हॉस्टल में उनको सुरक्षा दे सकते हैं और इसीलिए अलग अलग समय पर कर्फ़्यू लगा है। लेकिन कैंपस के बाहर कर्फ़्यू का कोई समय नही है। घटनाएं होती हैं लेकिन महत्वपूर्ण ये है कि हम उससे निपटे कैसे हैं।
वाइस चांसलर ने कहा कि ये मामला महिला उत्पीड़न का नहीं बल्कि छेड़ख़ानी का है. विरोध-प्रदर्शन के पीछे बाहरी तत्वों का हाथ है जिनका अपना निजी स्वार्थ है और जो देश के प्रति प्रतिबद्ध नहीं हैं। वे देश या इस तरह के संस्थानों की परवाह नहीं करते। मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री आने वाले थे इसलिए ये सब करवाया गया था।
त्रिपाठी ने कहा कि कैंपस में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था है, लेकिन ''लड़कों और लड़कियों के लिए सुरक्षा एक जैसी नहीं हो सकती.” उन्होंने गुरुवार की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए दावा किया कि ये मुद्दा जबरन बनाया गया है। इसे राजनीतिक फ़ायदे के लिए इस्तेमाल किया गया। उत्पीड़ की शिकायत करने वाली छात्रा ने हमसे बात की थी और हमारे जवाब से न सिर्फ़ संतुष्ट थी बल्कि उसके मसले पर हो रही राजनीति से दुखी भी थी।
वाइस चांसलर ने कहा कि कुछ बेगुनाह छात्र भी इन तत्वों, ग़ुंडों के साथ खड़े हो गए थे इसलिए हम ये पता नहीं कर पाए कि फसाद किसने शिरु किया। वे चाहते थे कि मैं बाहर निकलकर उनसे बात करुं लेकिन क्या मैं बात करने बाज़ार (गेट जहां प्रदर्शनकारी बैठे थे) जाता? मैं महिला महा विद्दालय जाने पर राज़ी हो गया था लेकिन ये आपराधिक तत्व पेट्रोल बम और पत्थर फ़ेंकने लगे, फिर मैं कैसे जा सकता था?