नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में बजट चर्चा पर अपने जवाब का लगभग आधा समय कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के उठाए गए मुद्दों का बिंदुवार उत्तर देने में लगाया। चिदंबरम ने पांच साल में देश की अर्थव्यवस्था 5,000 अरब डॉलर पहुंचाने के दृष्टिकोण को लेकर संदेह जताने समेत कई सवाल उठाए थे। उन्होंने अपने लगभग 1 घंटा 42 मिनट के जवाब में करीब 45 मिनट पूर्व वित्त मंत्री द्वारा उठाए गए मुद्दों को समर्पित था।
सीतारमण ने व्यंग्य के लहजे में कहा कि चिदंबरम के कहे अनुसार देश की अर्थव्यवस्था हर पांच साल में अपने आप दोगुनी हो जाती है, शायद यही कारण है कि संप्रग सरकार के दौरान अर्थव्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया गया और घोटाले होते रहे। मंत्री ने कहा कि वह प्रत्येक पूर्व वित्त मंत्री से काफी कुछ सीखना चाहेंगी। उन्होंने चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान कुछ कमियों के रेखांकित किया और कहा कि उनके समाधान इस सरकार ने किए। सीतारमण ने कहा कि सरकार ने बजट में जो भी लक्ष्य रखे हैं, उसके पीछे पूरी योजना है। बजट के आंकड़े पूरी तरह व्यवहारिक हैं और उन्हें हासिल किया जा सकता है तथा यह यह सब सामाजिक क्षेत्र पर खर्च में कटौती किए बिना किया गया है।
चिदंबरम के बयान पर प्रहार करते हुए वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि कर्ज देने वाले साहूकार कह सकते हैं अर्थव्यवस्था एक सरल गणितीय आकलन से हर पांच साल में खुद-ब-खुद देगुनी हो जाएगी और ‘‘अगर ऐसा वास्तव में होता तो आखिर हम सब यहां क्यों हैं? फिर सरकार क्यों होनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘क्या इसी कारण संप्रग शासन में अर्थव्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया गया और घोटाले होते रहे। वहां पूरा ध्यान था। अर्थव्यवस्था तो दोगुनी हो ही जाएगी, हम व्यक्तिगत आय बढ़ाने जो भी जरूरत होगा, उस पर ध्यान देंगे।’’
सीतारमण के जवाब के समय चिदंबरम उपस्थित नहीं थे। उन्होंने कहा कि वह अनुभवी और बहुत पढ़े लिखे पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम द्वारा सौम्य और विनम्र तरीके से उठाए गए विभिन्न मुद्दों का निश्चित रूप से बिंदुवार जवाब देना चाहूंगी। उन्होंने कहा कि चितंबरम ने कई आंकड़े पेश किए जिनके असर से लगा कि उन्होंने ने सरकार को चित कर दिया। वह उनका अनुभव बोल रहा था। ‘‘तो क्या मैं उन्हें हल्के में ले सकती हूं, कतई नहीं।’’
वित्त मंत्री ने कहा कि चिदंबरम ने राजग सरकार पर कटाक्ष किए, उसका मजाक उड़ा और व्यंग्य कसे। पर, ‘‘मैं यह पूछना चाहती हूं कि इस देश के पहले 60 साल में क्या हर दो साल में अर्थव्यवस्था दोगुनी हुई थी। हम पर हिंदु दर से वृद्धि का आरोप लगता है। आखिर उस समय यह दोगुना क्यों नहीं हुआ। उस समय कांग्रेस की ही तो सरकार थी...।’’ चिदंबरम के यह कहने पर कि बजट में कोई साहसिक संरचनात्मक सुधारों की बात नहीं है जबकि चुनावों में मिली बहुमत को देखते हुए इसमें होना चाहिए था, सीतारमण ने कहा कि जुलाई 2017 में लागू जीएसटी और 2016 में ऋण शोधन अक्षमता तथा दिवाला संहिता उनकी सरकार के बड़े संरचनात्मक सुधार हैं।
मंत्री ने कहा कि इस सरकार ने एफडीआई नीति व्यवस्था और आधार के उपयोग के जरिये प्रत्यक्ष लाभ अंतरण में उल्लेखनीय बदलाव लाया। इससे करोड़ों रुपये की चोरी रोकने में मदद मिली। उन्होंने कहा,‘‘पूर्व वित्त मंत्री ने केवल चार सुधारों का जिक्र किया जिसमें लाइसेंस राज समाप्त करना शामिल है लेकिन हमने 16 सुधारों को रेखांकित किया है...जीएसटी सबसे बड़ा सुधार है। क्या यह संरचनात्मक सुधार नहीं है।’’
सीतारमण ने कहा कि जीएसटी इस बड़े सुधार को पारित कराने में कांग्रेस बाधाएं खड़ी करती रही और उनके प्रमुख नेता आज भी उसे इसे ‘गब्बर सिंह टैक्स’ कहते रहते हैं। उन्होंने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘आपने गब्बर सिंह टैक्स का समर्थन किया और इसके बाद भी आप इसका श्रेय लेना चाहते हैं। आप ऐसा कर सकते हैं।’’