लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) से लाखों लोगों के नाम गायब होने को भाजपा तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की संकीर्ण और विभाजनकारी नीतियों का परिणाम बताते हुए आज कहा कि इस अनर्थकारी घटना से देश के लिये ऐसा उन्माद उभरेगा, जिससे निपटना बहुत मुश्किल होगा। मायावती ने एक बयान में कहा कि भाजपा शासित असम में बरसों से रहने के बावजूद लाखों लोगों की नागरिकता सिर्फ इसलिये छीन ली गयी, क्योंकि वे अपनी नागरिकता के सम्बन्ध में कोई ठोस सबूत नहीं दे पाये। अगर वे प्रमाण नहीं दे सके तो इसका यह मतलब नहीं है कि उन लोगों से उनकी नागरिकता ही छीन ली जाये और उन्हें देश से बाहर निकालने का जुल्म ढाया जाये।
उन्होंने कहा कि भाजपा और संघ की संकीर्ण विभाजनकारी नीतियों का ही यह परिणाम है कि असम में ऐसा अनर्थ हुआ है। इस साल 31 दिसम्बर को अन्तिम सूची के प्रकाशन के बाद यह देश के लिये एक ऐसा उन्माद और सरदर्द बनकर उभरेगा, जिससे निपट पाना बहुत ही मुश्किल होगा। बसपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा ने 40 लाख से अधिक धार्मिक तथा भाषाई अल्पसंख्यकों की नागरिकता को लगभग समाप्त करके केन्द्र और असम में अपनी स्थापना का एक प्रमुख उद्देश्य प्राप्त कर लिया है।
मायावती ने कहा कि इस घटनाक्रम से प्रभावित लोगों में शामिल धार्मिक अल्पसंख्यकों में ज्यादातर बंगाली मुसलमान हैं, जबकि भाषाई अल्पसंख्यकों में बंगला बोलने वाले गै़र-मुस्लिम बंगाली हैं। बंगाल में भी इस घटनाक्रम का गहरा दुष्प्रभाव पड़़ेगा लेकिन भाजपा एण्ड कम्पनी इसका भी फायदा लेने का प्रयास कर रही है।
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने असम के नागरिकता रजिस्टर के प्रकाशन के मामले में भाजपा की दलीलों की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि इस मामले में सब कुछ न्यायालय पर थोपना गलत है, क्योंकि भाजपा की केन्द्र तथा राज्य सरकारें संविधान और अदालत के आदेशों की कितनी अवहेलना कर रही हैं, यह आज सारा देश देख रहा है।
मायावती ने कहा कि भाजपा और संघ पूरे देश में खासकर दलितों, आदिवासियों, अन्य पिछडे़ वर्गों तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों को हर प्रकार से अपनी संकीर्ण, जातिवादी, साम्प्रदायिक एवं विभाजनकारी नीति का शिकार बनाने का अभियान चलाये हुए है। इससे कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक देश की जनता त्रस्त है।