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BLOG: महाराष्ट्र में आसान नहीं होगी तीन पहियों वाली ‘महा विकास अघाड़ी' की राह

तीन पहिए वाले इस रथ को लंबे समय तक खींच पाना उद्धव ठाकरे के लिए  कम चुनौती भरा नहीं होगा। 

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: November 28, 2019 22:59 IST
BLOG: महाराष्ट्र में आसान नहीं होगी तीन पहियों वाली ‘महा विकास अघाड़ी' की राह- India TV Hindi
Image Source : PTI BLOG: महाराष्ट्र में आसान नहीं होगी तीन पहियों वाली ‘महा विकास अघाड़ी' की राह

महाराष्ट्र में बीते एक महीने से सियासत के कई रंग देखने को मिले हैं। चुनाव नतीजे़ घोषित होने के बाद राज्य में कई नए राजनीतिक समीकरण बने और बिगड़े। आख़िकार उद्धव ठाकरे के महाराष्ट्र सीएम पद की शपथ लेने के बाद सियासी घमासान पर फुल स्टाप लग गया। सीएम पद की शपथ के साथ ही उद्धव ‘ठाकरे’ ख़ानदान के पहले सीएम बन गए हैं। उन्होंने सीएम बनने के बाद महाराष्ट्र की जनता का आभार जताया।

तीन पहिए वाले इस गठबंधन में पीएम समेत कई पार्टियों के नेताओं को शपथ-ग्रहण समारोह में निमंत्रण भेजा गया था, जिसमें कई राज्यों के सीएम समेत महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस भी शामिल हुए। पीएम मोदी ने उद्धव को ट्वीटर के जरिए महाराष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य के लिए लगन से काम करने के विश्वास के साथ बधाई दी। उद्धव के सीएम पद की शपथ के साथ भले ही बीजेपी-और शिवसेना का 25 साल पुराना गठबंधन टूट गया हो, लेकिन शपथ-ग्रहण के दौरान उद्धव ने बाला साहब ठाकरे के अंदाज़ को बरकरार रखते हुए भगवा रंग के कुर्ते और माथे पर तिलक लगाकर शपथ लिया।

कहते हैं, राजनीति में कुछ भी संभव है, लेकिन ऐसा कम ही देखने को मिलता है, जब भारतीय जनता पार्टी किसी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद विपक्ष में बैठी हो, लेकिन महाराष्ट्र में 105 सीट होने के बावजूद उसे विपक्ष में बैठना पड़ रहा है। चुनावी माहौल में बीजेपी-शिवसेना ने जनता से भले ही साथ रहकर काम करने के वादे के साथ जनता से वोट करने की अपील की हो, लेकिन दोनों का गठबंधन से सरकार बनने का फॉर्मूला सियासत के आख़िरी मंजिल तक नहीं पहुंच सका।

चुनाव परिणाम आने पर जनता को उम्मीद थी कि दोनों की सरकार बनेगी और महाराष्ट्र के विकास के लिए काम होगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। शायद ही किसी ने ऐसा सोचा हो कि शिवसेना जैसी पार्टी बीजेपी का दामन छोड़कर एनसीपी-कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना लेगी। लेकिन कल्पना से परे 25 साल पुराने रिश्तों को तोड़कर शिवसेना ने आगे बढ़ने का फै़सला लिया और बीजेपी से हटकर सरकार बनाई और आज उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के 19 वें मुख्यमंत्री हैं।

आसान नहीं होगी शिवसेना की राह

फ़िलहाल शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी के 'महा विकास अघाड़ी' गठबंधन के तहत उद्धव ने सीएम पद की शपथ ले ली है, लेकिन तीन पहिए वाले इस रथ को लंबे समय तक खींच पाना उनके लिए भी कम चुनौती भरा नहीं होगा। ग़ौर करने वाली बात है कि, बीजेपी के साथ शिवसेना ने 50-50 फॉर्मूले के सफल न होने के बाद जिन तीन पार्टियों से गठबंधन करके सरकार बनाई है, उसमें एनसीपी के 54 विधायकों का समर्थन है। जबकि शिवसेना के पास 56 विधायक हैं और कांग्रेस के पास कुल 44 विधायक। 

ऐसे में आने वाले दिनों में इनकी तपिश और वैचारिक मतभेद को झेलते हुए महाराष्ट्र का विकास कर पाना उद्धव के लिए आसान नहीं होगा। क्योंकि चुनाव के दौरान उनका एक-दूसरे पर किया गया वैचारिक हमला महज़ सत्ता पर काब़िज होने के लिए कतई नहीं था। ये देखना काफी दिलचस्प होगा कि तीन पहिए वाले रथ को उद्धव कब तक खींच पाएंगे?

उद्धव की राह में कई और रोड़े
महाराष्ट्र में जिन मुद्दों पर शिवसेना ने बीजेपी के साथ मिलकर जनता से वोट मांगा था, उसे धरातल पर बिना बीजेपी के उतारना भी उद्धव सरकार के लिए चुनौती भरा होगा। क्योंकि अगर सरकार बीजीपी के साथ मिलकर बनती तो इसमें दो राय नहीं है कि केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम को और अच्छे से किया जा सकता था। महाराष्ट्र में किसानों की समस्या, बेरोजगारी, शहरी सड़कों और आवास के ज्वलंत मुद्दों पर काम करना भी उद्धव के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा। 

राज्य में किसानों की समस्याएं किसी से छिपी नहीं हैं, बीते 10 महीनों की ही अगर बात करें तो, नासिक जिले के 44 किसानों ने खेती में नुकसान के चलते खु़द को मौत की नींद सुलाई है। ऐसे में बे-मौसम भारी बारिश की मार से चोट खाए किसानों के लिए नई सरकार आपसी मतभेद को सुलझाते हुए कितना काम कर पाएगी ये भी देखने वाली बात होगी। यही नहीं किसानों के अलावा राज्य में उद्योग, स्वास्थ्य क्षेत्र भी सामाजिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। जिसे दुरुस्त कर पाना भी नई सरकार के लिए काफ़ी चुनौतीपूर्ण होगा। 

ब्लॉग लेखक आशीष शुक्ला इंडिया टीवी में कार्यरत हैं और इस लेख में व्यक्त उनके निजी विचार हैं। 

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