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भाजपा ने अनुच्छेद 35A को हिंदू बनाम मुस्लिम मुद्दे में बदला: उमर

अनुच्छेद 35ए मुद्दे पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा इसे हिंदू बनाम मुस्लिम मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है।

Edited by: India TV News Desk
Published on: August 30, 2017 8:03 IST
Omar-Abdullah- India TV Hindi
Omar-Abdullah

जम्मू: जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला ने मंगलवार को भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 35ए मुद्दे को भाजपा हिंदू बनाम मुस्लिम मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है। नेशनल कांफ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष ने राजौरी जिले के दरहाल इलाके में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा आपना हित साधने के लिए इस मामले को राज्य विरुद्ध और देश के अन्य हिस्सों का मुद्दा बनाना चाहती है। अब्दुल्ला ने सवाल उठाया कि नेशनल कांफ्रेंस द्वारा उठाए गए इस मुद्दे की आलोचना कैसे की जा सकती है। अनुच्छेद 35ए जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के लोगों को चाहे वह किसी भी धर्म या जाति के हो, उनकी विशिष्ट पहचान और सम्मान बनाए रखने का संवैधानिक अधिकार देता है। ये भी पढ़ें: बड़ा खुलासा: राम रहीम का अदालत से ही भागने का प्लान था, कमांडो के साथ फरार होना चाहता था

उन्होंने भाजपा पर लोगों को क्षेत्र और क्षेत्रिए सीमा के आधार पर बांटने का आरोप लगाया। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "अनुच्छेद 35ए हमारी पहचान को दर्शाता है, यह हमारी मंजिल को आकार देने की अनुमति देता है, इसीलिए हम इसे जाने नहीं दे सकते।" नेशनल कांफ्रेंस के नेता ने लोगों को चेतावनी दी कि इस संवेदनशील मुद्दे पर संतुष्ट न रहें। उन्होंने दावा किया, "इस राज्य में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कलम और दवात पार्टी (पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी का चुनाव चिह्न) की कल्पना की गई थी।"

उमर अब्दुल्ला ने पीडीपी पर भाजपा के एजेंडे और विचार को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होना राज्य की राजकोषीय स्वायत्तता को 'भारी झटका' है, जबकि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून ने गरीबों की रीढ़ तोड़ दी थी। उमर ने कहा, "राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून लागू किए जाते समय हम कांग्रेस के साथ थे, फिर भी मैंने इसका विरोध किया था, जबकि पीडीपी ने जीएसटी पर भी भाजपा के आगे घुटने टेक दिए।"

क्या है अनुच्छेद 35A?

जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र के निदेशक के अनुसार 14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा एक आदेश पारित किया गया जिसके जरिये भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35A जोड़ दिया गया। अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर की विधान सभा को यह अधिकार देता है कि वह 'स्थायी नागरिक' की परिभाषा तय कर सके और उन्हें चिन्हित कर विभिन्न विशेषाधिकार भी दे सके।

हम जिस अनुच्छेद 35A (कैपिटल ए) का जिक्र करते हैं, वह संविधान की किसी भी किताब में नहीं मिलता। दरअसल इसे संविधान के मुख्य भाग में नहीं बल्कि परिशिष्ट (अपेंडिक्स) में शामिल किया गया है। यह चालाकी इसलिए की गई ताकि लोगों को इसकी कम से कम जानकारी हो। भारतीय संविधान की बहुचर्चित धारा 370 जम्मू-कश्मीर को कुछ विशेष अधिकार देती है। 1954 के जिस आदेश से अनुच्छेद 35A को संविधान में जोड़ा गया था, वह आदेश भी अनुच्छेद 370 की उपधारा (1) के अंतर्गत ही राष्ट्रपति द्वारा पारित किया गया था।

लेकिन जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र के निदेशक आशुतोष कहते हैं, 'भारतीय संविधान में एक नया अनुच्छेद जोड़ देना सीधे-सीधे संविधान को संशोधित करना है। यह अधिकार सिर्फ भारतीय संसद को है। इसलिए 1954 का राष्ट्रपति का आदेश पूरी तरह से असंवैधानिक है।'

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