मुंबई: कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को पूछा कि ‘महायुति’ के घटक दल शिवसेना को इस बात का डर लगता है कि सहयोगी दल भाजपा उसके विधायकों को ‘‘खरीदेगी’’ तो क्या उसके पास महाराष्ट्र में सरकार गठन का नैतिक अधिकार है। अन्य प्रमुख विपक्षी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने दावा किया कि विधायकों को खेमा बदलने के लिए प्रलोभन दिए गए हैं।
कांग्रेस के महासचिव सचिन सावंत ने एक ट्वीट किया, ‘‘शिवसेना, भाजपा की गठबंधन सहयोगी और महायुति का हिस्सा है। अगर उसे डर लगता है कि भाजपा उनके विधायकों को खरीदेगी तो हम बहुत अच्छी तरह समझ सकते हैं कि भाजपा नैतिक रूप से कितनी भ्रष्ट है और क्यों हमें महाराष्ट्र को उनसे बचाना चाहिए।’’
सावंत ने ट्वीट किया, ‘‘क्या महायुति के पास अब सरकार बनाने का नैतिक अधिकार है?’’ वह राजनीतिक अनिश्चितता के बीच शिवसेना के अपने विधायकों को बांद्रा उपगनर के रंगशारदा होटल में ठहराने के फैसले का जिक्र कर रहे थे।
भाजपा और शिवसेना ने हाल ही में संपन्न राज्य विधानसभा चुनाव अन्य छोटे सहयोगियों के साथ ‘महायुति’ (महागठबंधन) के तौर पर लड़ा था। लेकिन भाजपा और शिवसेना की राज्य में सरकार बनाने की राह आसान होने के बावजूद दोनों दल मुख्यमंत्री के पद को लेकर अड़े हुए हैं। भाजपा के करीबी कुछ निर्दलीय नेताओं ने दावा किया कि शिवसेना विधायकों का एक वर्ग मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के संपर्क में है।
भाजपा पर निशाना साधते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय झा ने कहा कि खंडाला, अलीबाग, माथेरान और मड आइलैंड जैसे मुंबई के समीप के स्थानों में रिजार्ट जल्द ही बंद किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन उन्हें दिए पैसों को देखते हुए भाजपा को मालदीव, बहामास, बरमूडा और पटाया पर भी विचार करना चाहिए।’’ भाजपा का नाम लिए बगैर राकांपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख जयंत पाटील ने यह भी दावा किया कि कुछ विधायकों को लालच दिया गया है। पाटील ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘कुछ विधायकों को अब लालच दिया गया है लेकिन अगर कोई भाजपा के खेमे में जाता है तो अन्य दल एकजुट होंगे और उन्हें उपचुनाव में हराएंगे।’’
बहरहाल, उन्होंने कहा कि राकांपा विधायकों को लालच नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘जो भी दल बदलना चाहते हैं वो चुनाव से पहले चले जाएं। जो भी राकांपा के टिकट पर निर्वाचित हुए उसमें लोगों का भरोसा है और हम विपक्ष में बैठने के लिए तैयार हैं।’’ पाटील ने यह भी कहा कि शिवसेना ने सरकार बनाने में समर्थन के लिए राकांपा से बात नहीं की थी। उन्होंने कहा, ‘‘न ही हमने शिवसेना को समर्थन देने पर राकांपा में कोई चर्चा की।’’ राकांपा ने कहा कि अगर भाजपा मुख्यमंत्री पद साझा करने और अन्य मंत्री पदों के समान बंटवारे की शिवसेना की मांग मान लेती है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने का कोई सवाल ही नहीं होगा।