इंदौर: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने आज कहा कि भाजपा द्वारा मध्यप्रदेश के वर्ष 2003 के विधानसभा चुनावों से उनके लिए इस्तेमाल किया जा रहा "मिस्टर बंटाधार" का जुमला उन्हें परेशान नहीं करता। यह जिक्र किये जाने पर कि भाजपा इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले भी उनके खिलाफ यह जुमला बराबर इस्तेमाल कर रही है, दिग्विजय ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, "मुझे यह जुमला (मिस्टर बंटाधार) परेशान नहीं करता। ये (भाजपा नेता) कायर लोग हैं और अपशब्दों का इस्तेमाल करना इनके चरित्र में है।"
गौरतलब है कि दिग्विजय दिसंबर 1993 से दिसंबर 2003 तक सूबे की कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री थे। वर्ष 2003 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को भाजपा के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था। आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर दिग्विजय को प्रदेश कांग्रेस की समन्वय समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। उन्होंने चुनौती दी, "अगर शिवराज में साहस हो, तो वह कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार के 10 वर्षीय शासन और भाजपा के पिछले 15 साल से जारी राज को लेकर सार्वजनिक मंच पर मुझसे बहस करें।"
दिग्विजय ने कहा, "मैं 10 साल तक सूबे का मुख्यमंत्री रहा। लेकिन भाजपा मेरे खिलाफ भ्रष्टाचार का एक भी आरोप अब तक साबित नहीं कर सकी है ।" उन्होंने कहा, "भाजपा द्वारा बार-बार कहा जाता है कि मेरे मुख्यमंत्री रहने के दौरान प्रदेश में सड़क, बिजली और जल आपूर्ति की हालत खराब थी। लेकिन आज आपको इन क्षेत्रों में जो विकास दिखायी दे रहा है, उसकी नींव कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में ही रखी गयी थी।"
दिग्विजय ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उज्जैन से 14 जुलाई से शुरू हुई "जन आशीर्वाद यात्रा" पर भी निशाना साधा। सत्तारूढ़ भाजपा की कुल ढाई महीने की अवधि की यह यात्रा अगले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर निकाली जा रही है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने प्रदेश में बेरोजगारी, पेयजल संकट और किसानों व मजदूरों की बदहाली के आरोप लगाते हुए कहा, "शिवराज की अगुवाई वाली भाजपा सरकार जनता के आशीर्वाद की पात्र नहीं है।"
उन्होंने कटाक्ष किया, "शिवराज ढाई करोड़ रुपये के रथ (विशेष वाहन) पर सवार होकर चुनावी यात्रा पर निकले हैं। भाजपा के लोग भगवान राम की बात करते हैं। लेकिन वे भूल जाते हैं कि रावण के साथ भगवान राम के युद्ध के समय रावण रथ पर सवार था, जबकि भगवान राम की सेना पैदल थी।" दिग्विजय ने आरोप लगाया कि सूबे में भाजपा के राज में सरकारी बिजलीघरों को जान-बूझकर बंद रखा जा रहा है और भारी भ्रष्टाचार के जरिये निजी संयंत्रों से महंगी बिजली खरीदी जा रही है।
प्रदेश की बिजली बिल माफी की योजना पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को चाहिये कि वह इस कार्यक्रम को दिसंबर 2003 से प्रभावी घोषित करे, जब भाजपा सत्ता में आयी थी। इसके साथ ही, पिछले 15 साल में गरीबों से बिजली बिल के रूप में वसूली गयी राशि उन्हें लौटायी जाये।