भुवनेश्वर: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को शुक्रवार निशाना बनाते हुए कहा कि भाजपा की ‘मातृ संस्था’ देश की सभी संस्थाओं में घुसने और उन्हें नियंत्रित करने का प्रयास कर रही है और उसकी छाप ‘नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक’ हर जगह दिखाई देती है। इसकी वजह से न्यायपालिका समेत देश में अराजकता फैल गई है। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के संपर्क प्रयासों के तहत बुद्धिजीवियों से संवाद के दौरान उन्होंने कहा कि भाजपा के विपरीत उनकी पार्टी ‘‘विकेंद्रीकरण, संस्थाओं की स्वतंत्रता और संवैधानिक उन्नति का सम्मान करती है।’’ उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई उस विचारधारा से है जो ‘एक राज्य, एक विचारधारा और एक ही तरह के लोग देश चलाएं’ उसमें विश्वास करती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 1.2 अरब लोगों को इस देश को चलाना चाहिये। उन्होंने उद्योगपतियों की कर्जमाफी, जीएसटी और मनरेगा के कार्यान्वयन और आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना के मुद्दे पर मोदी सरकार की आलोचना की।
गांधी ने कहा कि आरएसएस और भाजपा की ओर से ‘लगातार दी जाने वाली गाली’ को वह ‘तोहफे’ के तौर पर लेते हैं, जिसने उन्हें मजबूत बनाया है और उन्होंने उनसे काफी सीखा है। उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘‘गीता (पवित्र पुस्तक) कई बार पढ़ने को कहेंगे। मैं उन्हें स्वामी निसर्गदत्त की पुस्तक ‘आई एम दैट’ भी पढ़ने को कहूंगा।’’ पुस्तक आपको शिक्षा देती है कि समस्त ब्रह्मांड से तुलना की जाए तो आप कितने तुच्छ हैं। उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल एक संस्था है जिसे आरएसएस के नाम से पुकारा जाता है, जो भाजपा की जननी है। उसे लगता है कि वही देश में एकमात्र संस्था रहनी चाहिये। वे अन्य सभी संस्थाओं में घुसना चाहते हैं और उन्हें नियंत्रित करना चाहते हैं।’’ गांधी ने कहा कि इस सोच की वजह से न्यायपालिका और शिक्षा के क्षेत्रों समेत देश में हर जगह अराजकता फैल गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘आप अगर नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक जाएं तो आरएसएस की छाप देख सकते हैं। हमारा मानना है कि एक राज्य, एक विचारधारा और कुछ लोगों के एक समूह को देश को नहीं चलाना चाहिये। हमारा मानना है कि 1.2 अरब लोगों को इस देश को चलाना चाहिए। हम इसकी रक्षा करते हैं।’’ कांग्रेस नेता ने कहा कि अहम संस्थाओं की कार्यप्रणाली के मामले में उनकी पार्टी की सोच सत्तारूढ़ भाजपा से अलग है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि भारत की सफलता, भारत के संविधान, उन्नति और संस्थाओं की स्वतंत्रता के बीच एक संबंध है। इसलिये, हम न्यायपालिका, चुनाव आयोग, शिक्षा व्यवस्था और विश्वविद्यालय जैसी संस्थाओं का सम्मान करते हैं। एक अलग सोच है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार में लोगों की आवाज को शामिल करने में अधिक दिलचस्पी है और ईमानदारी से कहूं तो कांग्रेस जब सत्ता में थी तो काफी शोर था, लेकिन वह लोकतंत्र का हिस्सा है।’’ गांधी ने कहा कि कांग्रेस महत्वपूर्ण संस्थाओं पर हमले की अनुमति नहीं देगी। उन्होंने कहा, ‘‘हमें काफी मरम्मत करनी होगी क्योंकि पिछले पांच वर्षों में जो किया गया है, वह देश के लिये विनाशकारी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत के इतिहास में पहली बार उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बाहर आए---और कहा कि हमें अपना काम नहीं करने दिया जा रहा है।’’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि वह सहर्ष आलोचना को स्वीकार करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं ऐसा व्यक्ति हूं जो अपनी आलोचना के खिलाफ नहीं है। मैं लोगों से सीखता हूं और मैं नहीं चाहता कि सभी लोग मेरी राय स्वीकार करें। मैं घृणा नहीं करता क्योंकि नफरत कमजोर करती है और घृणा अंधा बनाती है।’’ उन्होंने उन सुझावों को खारिज कर दिया कि सभी पार्टियां मध्यम वर्ग की अनदेखी करती हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि समाज का बड़ा हिस्सा कांग्रेस द्वारा 1991 में शुरू की गई उदारीकरण की प्रक्रिया और 2000 से 2014 के बीच गरीबी से बाहर निकला। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस ने मध्यम वर्ग तैयार करने में मदद की। ईमानदारी से कहूं तो हमारी उदारीकरण की नीतियों ने मध्यम वर्ग तैयार किया।
अब आप निश्चित तौर पर मध्यम वर्ग की अनदेखी के बारे में (नरेंद्र) मोदी से सवाल पूछ सकते हैं।’’ उन्होंने कहा कि एकाधिकार की वजह से मध्यम वर्ग स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा के क्षेत्र में मुश्किलों का सामना कर रहा है। उन्होंनेकहा कि आरटीआई और लोकपाल मध्यम वर्ग के लिये बड़े हथियार हैं लेकिन ‘‘आरटीआई फिलहाल मृतप्राय’’ है। उन्होंने कहा कि एकाधिकार और शिक्षण और स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था पर ‘कब्जा’ को चुनौती दिये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने इन क्षेत्रों में काफी धन निवेश किये जाने की आवश्यकता पर जोर दिया।