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कश्मीर पर वादाखिलाफी के लिए भाजपा जिम्मेदार: यशवंत सिन्हा

"हमें गठबंधन के एजेंडे के तहत किए गए वादे से मुकरने के लिए उन्हें (भाजपा) जिम्मेदार ठहराना चाहिए, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह सभी आंतरिक हितधारकों से बातचीत करेंगे। वाजपेयी द्वारा किए गए कार्यो की सराहना करने के बाद उन्होंने कहा था कि वे उन्हीं के प

IANS
Published : July 07, 2017 7:51 IST
Yashwant Sinha
Yashwant Sinha

नई दिल्ली: कश्मीर मुद्दे के समाधान को लेकर हुर्रियत व पाकिस्तान सहित तमाम हितधारकों के साथ वार्ता करने का वादा तोड़ने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, क्योंकि घाटी में मौजूदा संकट से निपटने का वार्ता ही एकमात्र उपाय है। पार्टी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने यह बात कही। पूर्व मंत्री का मानना है कि किसी को केंद्र सरकार से यह बात पूछनी चाहिए कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का हवाला देते हुए वार्ता का वादा करने के बाद वह पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के साथ गठबंधन के एजेंडे से पीछे क्यों हट रही है। ये भी पढ़ें: भारत और चीन में बढ़ी तल्खियां, जानिए किसके पास है कितनी ताकत

सिन्हा ने कहा, "हमें गठबंधन के एजेंडे के तहत किए गए वादे से मुकरने के लिए उन्हें (भाजपा) जिम्मेदार ठहराना चाहिए, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह सभी आंतरिक हितधारकों से बातचीत करेंगे। वाजपेयी द्वारा किए गए कार्यो की सराहना करने के बाद उन्होंने कहा था कि वे उन्हीं के पदचिन्हों पर चलेंगे। किसी को उनसे पूछना चाहिए कि आप गठबंधन के एजेंडे से पीछे क्यों हट रहे हैं?"

घाटी में पिछले साल महीनों की अशांति के बाद पूर्व विदेश व केंद्रीय वित्तमंत्री ने अलगाववादी तथा अन्य समूहों के साथ वार्ता शुरू करने के लिए देश के प्रख्यात लोगों के एक गैर राजनीतिक दल के साथ दो बार कश्मीर का दौैरा किया था। महीनों की अशांति के दौैरान लगभग 100 लोगों की मौत हुई और सुरक्षाबलों द्वारा पैलेट गन के इस्तेमाल में हजारों लोगों की आंखों की रोशनी चली गई।

उन्होंने कहा कि समूह ने घाटी में शांति बहाल करने के लिए अपनी सिफारिशें केंद्र सरकार को सौंपी थीं, जहां हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं, क्योंकि ज्यादा से ज्यादा तादाद में लोग अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं।

सिन्हा ने कहा, "सबसे अहम सुझाव जो हमने दिया था, वह राष्ट्रीय सुलह पर भाजपा तथा पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के बीच गठबंधन के एजेंडे में किए गए वादों को पूरा करने और हुर्रियत सहित तमाम हितधारकों के साथ बातचीत शुरू करने की बात थी।" उन्होंने कहा कि कुछ सुझावों पर तो अमल किया गया, लेकिन अफसोस है कि कुछ पर अमल नहीं किया गया।

भाजपा नेता ने कहा, "मैं इस बात का श्रेय लेने का दावा नहीं कर रहा हूं कि वे सुधार हमारे कारण ही हुए हैं। उदाहरण के तौर पर आप पैलेट गन को ही लीजिए। पहले की तुलना में अब इसका इस्तेमाल न के बराबर किया जा रहा है। पैलेट के कारण लोगों की आंखों की रोशनी जाने की घटना में कमी आई है।"

उन्होंने कहा कि सरकार वार्ता के वादे से मुकर गई, क्योंकि कश्मीर घाटी में अब कोई वार्ता नहीं हो रही, केवल सैन्य कार्रवाई चल रही है। पूर्व मंत्री ने कहा कि अलगाववादियों को पाकिस्तान से पैसे मिलना कोई हैरत की बात नहीं है, क्योंकि 'यह कुछ ऐसा है, जिससे हर कोई अवगत है।'

उन्होंने कहा, "उन्हें अलगाववादी इसलिए कहा गया है, क्योंकि वे अलग होना चाहते हैं। नहीं तो हम उन्हें अलगाववादी क्यों बुलाते? इसलिए उनके बारे में सबकुछ सर्वविदित है। मुझे नहीं लगता कि बीते ढाई वर्षो में ऐसा कुछ बदलाव आया है, जिसके मद्देनजर अधिकारियों को गठबंधन के एजेंडे के तहत किए गए वादे से मुकरने की जरूरत आ पड़ी है।"

सिन्हा ने कहा कि कश्मीर मुद्दे के समाधान का एकमात्र तरीका बातचीत है, केवल आंतरिक हितधारकों से नहीं, बल्कि नियंत्रण रेखा के पार रहने वाले लोगों से भी, जिसका मतलब पाकिस्तान से हैं, जिसके बारे में भाजपा तथा पीडीपी ने सहमति जताई थी।

पूर्व मंत्री ने कहा, "अगर कुछ वक्त के लिए हम पाकिस्तान को इससे बाहर भी कर दें, तो हमें जम्मू एवं कश्मीर में अपने लोगों के साथ बातचीत क्यों नहीं करनी चाहिए? हम नगा लोगों से बातचीत कर रहे हैं या नहीं।" उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि कश्मीर के हालात 'गंभीर चिंता की बात' है और बिना समय गंवाए समस्या का समाधान करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अधिकारियों तथा भारत के लोगों को यह बात समझनी होगी कि यह केवल जम्मू एवं कश्मीर क्षेत्र को अपने पास रखने का मसला नहीं है, बल्कि हमें उनका दिल व मन जीतना है, जो अलग-थलग पड़ चुके हैं।

सिन्हा ने कहा, "और हमारे समक्ष यही चुनौती है और हम इसे तभी हासिल कर सकते हैं, जब हम उनके पास पहुंचेंगे और उन्हें बातचीत का प्रस्ताव देंगे। अगर उन्होंने हमारे प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया, तब वास्तव में मुद्दे के समाधान पर बातचीत शुरू होगी।" यह पूछे जाने पर कि घाटी में शांति बहाल करने में नाकाम होने के बावजूद भाजपा गठबंधन सरकार में क्यों शामिल है, सिन्हा ने कहा कि सवाल यह है कि मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी की सरकार भाजपा के साथ गठबंधन में क्यों है।

उन्होंने कहा, "भाजपा अपने वादों से मुकर रही है और किसे पहले प्रतिक्रिया करनी चाहिए? पीडीपी को।" यह पूछे जाने पर कश्मीर घाटी में शांति प्रक्रिया को शुरू करने के बार में उनकी क्या योजना है, भाजपा नेता ने कहा कि कश्मीरियों को देने के लिए उनके पास कुछ नहीं है।

उन्होंने कहा, "केवल भारत सरकार या जम्मू एवं कश्मीर सरकार उन्हें कुछ दे सकती है। लेकिन मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि भारत के लोग कश्मीर के लोगों तक पहुंचें।" सिन्हा ने कहा, "लोगों के बीच बातचीत होनी चाहिए। जम्मू एवं कश्मीर को लोगों को भरोसा होना चाहिए कि भारत के लोगों के मन में उनके प्रति भावनाएं हैं। आगे देखिए। भविष्य ही बताएगा।"

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