नई दिल्ली। इस बार दिल्ली में हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है, पार्टी सिर्फ 8 सीटों पर चुनाव जीत पायी है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी को मिले वोटों को देखें तो पार्टी के प्रदर्शन में सुधार ही हुआ है। दिल्ली विधानसभा में सत्ता से बाहर हुए भारतीय जनता पार्टी को 22 साल हो चुके हैं और तब से लेकर अबतक दिल्ली में जितने भी विधानसभा चुनाव हुए हैं उनमें मत प्रतिशत के लिहाज से इस बार भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन अन्य विधानसभा चुनावों के मुकाबले सबसे अच्छा रहा है।
1983 में पहली बार लड़ा था चुनाव
भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार 1983 में दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ा था और उस समय दिल्ली में 56 विधानसभा सीटें होती थीं, उस साल भाजपा को विधानसभा चुनाव में 43.17 प्रतिशत वोट मिले थे लेकिन इसके बावजूद वह सिर्फ 19 सीटें जीत पायी सरकार नहीं बना सकी थी क्योंकि उस साल कांग्रेस पार्टी को 47.50 प्रतिशत वोट मिले थे और वह 34 सीटों पर जीत प्राप्त करने में कामयाब हो गई थी।
1993-1998 दिल्ली में थी BJP सरकार
इसके बाद 1993 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में दिल्ली में 70 विधानसभा सीटें हो चुकी थीं और उस समय भारतीय जनता पार्टी देशभर में एक बड़े दल के तौर पर उभर रही थी। भारतीय जनता पार्टी का जनाधार दिल्ली में भी बढ़ चुका था और 1993 के चुनाव में भाजपा ने पहली बार कांग्रेस को हराया था। 1993 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को दिल्ली में 42.82 प्रतिशत वोट मिले थे और पार्टी 49 सीट पर चुनाव जीती थी। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी को 34.48 प्रतिशत वोट मिले थे और वह सिर्फ 14 सीटों पर चुनाव जीत पाए थे। 1993 से 1998 तक दिल्ली में भाजपा ने पहली और अंतिम बार सरकार बनाई थी।
1998 में दिल्ली में शुरू हुआ 'शीला युग'
इसके बाद 1998 में हुए चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 47.76 प्रतिशत वोट लेकर फिर वापसी की और उस साल भाजपा का वोट प्रतिशत घटकर 35.82 प्रतिशत रहा। 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का वोट शेयर 35.22 प्रतिशत और कांग्रेस का 48.13 प्रतिशत रहा और फिर कांग्रेस की सरकार बनी और इसी तरह 2008 में फिर कांग्रेस की सरकार बनी जब उनका वोट शेयर 40.31 प्रतिशत और भाजपा का 36.84 प्रतिशत रहा। कांग्रेस पार्टी के लिए दिल्ली में यह शीला युग था जो 2013 में जाकर खत्म हुआ।
2013 में आम आदमी पार्टी की एंट्री
2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की एंट्री हो चुकी थी, उस साल भाजपा का वोट शेयर 34.12 प्रतिशत, कांग्रेस का 24.67 प्रतिशत और आम आदमी पार्टी का 29.64 प्रतिशत था। उस साल भाजपा बड़ी पार्टी जरूर थी लेकिन आम आदमी पार्टी को कांग्रेस का समर्थन मिलने पर अरविंद केजरीवाल पहली बार मुख्यमंत्री बने थे।
2015 में किसका कितना वोट शेयर?
2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने रिकॉर्ड वोट लिए और 67 सीट जीतकर सरकार बनाई। 2015 में भाजपा का वोट शेयर 32.78 प्रतिशत था जबकि आम आदमी पार्टी का 54.59 प्रतिशत, कांग्रेस का वोट सेयर घटकर सिर्फ 9.70 प्रतिशत रह गया था।
2020 में BJP का वोट शेयर बढ़ा लेकिन सीट ज्यादा नहीं
इस बार के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का वोट सेयर 38.5 प्रतिशत रहा और उसके दो सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड और लोक जनशक्ति पार्टी भी लगभग 1.5 प्रतिशत वोट लेने में कामयाब रहे और इस लिहाज से भाजपा का वोट शेयर लगभग 40 प्रतिशत रहा। वहीं कांग्रेस का वोट शेयर घटकर सिर्फ 4.36 प्रतिशत रहा और उम्मीदों से अच्छा प्रदर्शन करते हुए आम आदमी पार्टी का वोट शेयर 53.6 प्रतिशत दर्ज किया गया।