नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनावों में हार पर भाजपा की रिव्यू मीटिंग के बाद वित्तमंत्री अरुण जेटली ने प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, "विरोधी दलों की एकजुटता भाजपा की हार का सबसे बड़ा कारण रहा।" उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा बिहार की जनता के फैसले का सम्मान करती है और यह उम्मीद करती है कि बिहार की नई सरकार राज्य के विकास के लिए काम करेगी।
यह पूछे जाने पर कि क्या आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण के संबंध में दिए गए बयान की वजह से भाजपा की पराजय हुई, जेटली ने कहा कि चुनाव परिणाम कभी भी एक बयान पर निर्भर नहीं होते। रिव्यू मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी शामिल थे।
बैठक शुरू होने से पहले अटकलें लगाई जा रही थीं कि हार के कारणों के अलावा पार्टी जदयू-राजद-कांग्रेस के महागठबंधन के सामाजिक अंकगणित की भी बैठक में विवेचना की जाएगी। हुकुमदेव नारायण यादव और अश्विनी चौबे सहित बिहार के कुछ नेताओं ने बयान दिए थे कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का आरक्षण के बारे में दिए गए बयान से पार्टी को नुकसान हुआ जबकि एक धड़े में इस तरह की भी सोच है कि मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम नहीं बताने से भी नीतीश कुमार को फायदा मिला।
वहीं, भाजपा के कुछ नेताओं को लगता था कि जीतने वाले गठबंधन का सामाजिक संयोजन राजग की हार का कारण हो सकता है।
अब, जेटली के प्रेस कांफ्रेंस में पार्टी की तरफ से आधिकारिक बयान देने के बाद स्पष्ट हो गया है कि पार्टी आरएसएस प्रमुख के बयान के पराजय का कारण नहीं मानती, बल्कि विरोधी दलों के एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ लड़ने को ही हार की असली वजह मानती है।
भाजपा नेताओं के खिलाफ कोई कदम नहीं
जेटली ने कहा, "भाजपा मंत्रियों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई पर रिव्यू मीटिंग में चर्चा नहीं की गई," पहले ऐसा माना जा रहा था कि शत्रुघ्न सिन्हा और आरके सिंह के खिलाफ पार्टी कार्रवाई कर सकती है, लेकिन सोमवार को ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया।
अमित शाह की आरएसएस प्रमुख से मुलाकात
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने सोमवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की औऱ बिहार की पराजय से संबंध में अपना प्राथमिक आकलन प्रस्तुत किया।