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भोपाल नगर निगम के बंटवारे को लेकर भाजपा और कमलनाथ सरकार आमने-सामने

प्रस्तावित भोपाल ईस्ट नगर निगम में नए भोपाल का इलाका शामिल होगा, वहीं भोपाल वेस्ट में पुराना शहर शामिल किया जाएगा। मुस्लिम बाहुल्य पुराने शहर में कांग्रेस के दो मुस्लिम विधायक हैं।

Reported by: Anurag Amitabh @anuragamitabh
Updated on: October 15, 2019 23:20 IST
Kamalnath Shivraj- India TV Hindi
Image Source : TWITTER प्रतिकात्मक तस्वीर

भोपाल। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार और भाजपा एक बार फिर आमने-सामने हैं। वजह कमलनाथ सरकार द्वारा भोपाल नगर निगम को 2 हिस्सों में बांटने का फैसला। कांग्रेस नगर निगम को बांटने की वजह जनसंख्या में हुई बढ़ोतरी और आमजन को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराना बता रही है वहीं बीजेपी के मुताबिक  यह बटवारा देश के बंटवारे की तर्ज पर धर्म के आधार पर हो रहा है।

कमलनाथ सरकार ने जारी किया ड्राफ्ट

दरअसल मध्य प्रदेश में जल्द ही नगर निगम के चुनाव होने वाले हैं इससे पहले ही मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने भोपाल शहर को दो हिस्सों में बांट कर दो नगर निगम बनाने का ड्राफ्ट पिछले सोमवार जारी कर दिया था। भोपाल ईस्ट नाम से प्रस्तावित नई नगर निगम में तकरीबन 31 वार्ड होंगे, वहीं भोपाल वेस्ट नाम से दूसरे नगर निगम में 54 वार्ड शामिल होंगे।

भोपाल वेस्ट में होगा मुस्लिम बाहुल्य इलाका

प्रस्तावित भोपाल ईस्ट नगर निगम में नए भोपाल का इलाका शामिल होगा, वहीं भोपाल वेस्ट में पुराना शहर शामिल किया जाएगा। मुस्लिम बाहुल्य पुराने शहर में कांग्रेस के दो मुस्लिम विधायक हैं, ऐसे में भोपाल से भाजपा के मेयर इसे धार्मिक आधार पर किया जा रहा विभाजन बात रहे हैं।

मेयर आलक शर्मा का आरोप- हिंदू मुस्लिम के आधार पर बांट रही कांग्रेस

भोपाल शहर के मेयर आलोक शर्मा ने कहा, “कांग्रेस लंबे समय से देश में विभाजन के आधार के रूप में राजनीति करते आई हुई है। कश्मीर में 70 साल से जो हमारी भारत माता है, उसको देश से नहीं जुड़ने दिया। उसी तर्ज के ऊपर आज कांग्रेस पार्टी भोपाल जो राजा भोज की नगरी है, 1000 साल का इतिहास है, गौरवशाली इतिहास परंपरा है, बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक के आधार पर बांट रही है। हिंदू और मुस्लिम के आधार पर बांट रही है।”

उन्होंने आगे कहा, “इससे कहीं ना कहीं भोपाल जो कहीं ना कहीं मध्य प्रदेश की राजधानी है, स्वच्छता के नाम पर दूसरे नंबर पर है, उसको भोपाल से अलग कर भोपाल की आत्मा को अलग किया जा रहा है। हम इसकी कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। हम न्यायालय में भी जाएंगे अपना पक्ष रखेंगे हम दो टुकड़े नहीं होने देंगे।”

हालांकि कांग्रेस की मानें तो भोपाल शहर की बढ़ती जनसंख्या के चलते और विकास के कामों में तेजी आए इसीलिए भोपाल नगर निगम को दो भागों में बांटना जरूरी है।

भोपाल नगर निगम में कांग्रेस और भाजपा का अंकगणित

  • कुल वार्ड 85
  • भाजपा पार्षद 57
  • कोंग्रेस पार्षद 28

भोपाल नगर निगम में छह विधानसभा

  • भाजपा के 3 विधायक
  • कांग्रेस के 3 विधायक

पश्चिम नगर निगम बना तो 54 वार्ड आएंगे

  • भाजपा और समर्थित पार्षद- 31
  • कांग्रेस और समर्थित पार्षद- 23
  • कांग्रेस के दो मुस्लिम विधायक यहीं की विधानसभाओं से हैं।
  • 2011 की मतगणना के अनुसार यहां की आबादी 12 लाख से ज्यादा

पूर्वी नगर निगम बना तो 31 वार्ड आएंगे

  • भाजपा और समर्थित पार्षद- 26
  • कांग्रेस और समर्थित पार्षद- 05
  • 2011 की मतगणना के अनुसार यहां की आबादी 7 लाख से ज्यादा
  • दो नगर निगम बनने से वार्ड की संख्या 85 से बढ़कर 110 होने की सम्भावना

शिवराज बोले- कांग्रेस कर रही भाई से भाई को बांटने की साजिश

भाजपा का मानना है कि भोपाल को दो भागों में बांटने का मकसद साम्प्रदायिक आधार है ताकि कांग्रेस इन इलाकों से जीत सके। दरअसल मुस्लिम बाहुल्य पश्चिम नगर निगम इलाके से ही कांग्रेस के 3 विधायकों ने जीत हासिल की है। ऐसे में भोपाल के दो हिस्सों में बांटने से कांग्रेस को उम्मीद है कि उनका मेयर पश्चिम नगर निगम से बन सकता है।

यही वजह है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी भोपाल नगर निगम के बंटवारे को कांग्रेस की साजिश बताते हुए सांप्रदायिक आधार पर किया जा रहा विभाजन बता रहे हैं।

शिवराज सिंह ने कहा कि हम उस काम विरोध करते हैं यह राजा भोज के भोपाल को बांटने की साजिश है। यह भाई को भाई से बांटने की साजिश है। मां के दूध में दरार डालने की साजिश है। सांप्रदायिक आधार पर भोपाल का विभाजन करके नगर निगम पर कब्जा करने की साजिश है। मैं जनता से अपील करता हूं इसका विरोध करें।

मंत्री पीसी शर्मा ने कहा- जनता को मिलेगा ज्यादा लाभ

कांग्रेस सरकार में जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कहा, “दो नगर निगम मुंबई में भी हैं, दिल्ली में भी हैं, पुणे में भी हैं, जिससे कि ज्यादा से ज्यादा लाभ जनता को मिल सके। उनका विकास ज्यादा हो सके। पार्षद अपने छोटे वार्ड को कंट्रोल कर सके। अभी जो शहर का महापौर बन जाता था, वह दूसरे इलाके की ओर नहीं देखता था।

महापौर के चुनाव को लेकर भी आमने-सामने हैं भाजपा-कांग्रेस

यह पहली बार नहीं है जब कमलनाथ सरकार और भाजपा नगर निगम के मुद्दे पर आमने-सामने हैं। इससे पहले भी जनता के जरिए होने वाले महापौर के चुनाव को रद्द कर कांग्रेस अध्यादेश लाकर पार्षदों के जरिए ही महापौर का चुनाव हो तय कर चुकी है। ऐसे में अगर भोपाल नगर निगम दो भागों में बांटती है तो मध्यप्रदेश में भोपाल पहला शहर होगा जहां दो नगर निगम होंगी।

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