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सासंदों को खुद की सैलरी बढ़ाने का अधिकार नहीं होना चाहिए, किसानों पर ध्यान दें: वरुण गांधी

देश में किसानों की समस्या और उनके खुदकुशी के मामलों का जिक्र करते हुए भाजपा सांसद वरूण गांधी ने आज लोकसभा में मांग उठाई कि देश के इस तरह के हालात में सांसदों को स्वयं का वेतन बढ़ाने का अधिकार नहीं होना चाहिए और इसके लिए ब्रिटेन की संसद की तर्ज पर एक

Edited by: India TV News Desk
Updated : August 01, 2017 22:29 IST
varun gandhi
varun gandhi

नई दिल्ली: देश में किसानों की समस्या और उनके खुदकुशी के मामलों का जिक्र करते हुए भाजपा सांसद वरूण गांधी ने आज लोकसभा में मांग उठाई कि देश के इस तरह के हालात में सांसदों को स्वयं का वेतन बढ़ाने का अधिकार नहीं होना चाहिए और इसके लिए ब्रिटेन की संसद की तर्ज पर एक बाहरी निकाय बनाया जाना चाहिए जिसमें सांसदों का हस्तक्षेप नहीं हो।

भाजपा के वरुण गांधी ने शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए कहा, राजकोष से अपने स्वयं के वित्तीय संकलन को बढ़ाने का अधिकार हथियाना हमारी प्रजातान्त्रिक नैतिकता के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि इस देश की ज्यादा से ज्यादा अच्छाई के लिए, हमें वेतन निर्धारित करने के लिहाज से सदस्यों से स्वतंत्र एक बाहरी निकाय बनाना होगा। या, यदि हम स्वयं को विनियमित करते हैं और देश के हालात तथा समाज में अंतिम व्यक्ति की आर्थकि स्थितियों पर विचार करते हैं, तो हमें कम से कम इस संसद की अवधि के लिए अपने विशेषाधिकारों को छोड़ देना चाहिए।

भाजपा सांसद ने कहा कि ब्रिटेन की संसद में एक स्वतंत्र प्राधिकरण है। गैर सदस्यों का यह निकाय सरकार को सांसदों के वेतन और पेंशन के लिए सलाह देता है। जिसके लिए यह प्राधिकरण लाभार्थयिों एवं जनता दोनों की सिफारिशों को संग्यान में लेकर सिफारिशों की वैधता एव सरकार के सामर्थ्य की जांच करता है। इस तरह का तंत्र हमारे देश में नही है, यह दुखद है।

वरुण गांधी के अनुसार महात्मा गांधी ने एक बार लिखा था कि मेरी राय में सांसदों और विधायकों द्वारा लिए जा रहे भो उनके द्वारा राष्ट्र के लिए दी गयी सेवाओ के अनुपात में होना चाहिए।

भाजपा सदस्य ने कहा, पिछले एक दशक में ब्रिटेन के 13 प्रतिशत की तुलना में हमने अपने वेतन 400 प्रतिशत बढ़ाये हैं, क्या हमने सही में इतनी भारी उपलब्धि अर्जित की है जबकि हम अपने पिछले दो दशक के प्रदर्शन पर नजर डालें तो मात्र 50 विधेयक संसदीय समितियों से जांच के बाद पारित किए गए हैं। जब विधेयक बिना किसी गंभीर विचार-विमर्श के पारित हो जाते हैं, तो यह संसद के होने के उद्देश्य को पराजित करता है। विधेयक को पारित करने की हड़बड़ी राजनीति के लिए प्राथमिकता दिखाती है, नीति के लिए नहीं। 41 बिल सदन में चर्चा के बिना ही पारित किये गये।

उन्होंने कहा कि कुछ लोग हैं जो कहते हैं कि सांसदों का वेतन निजी क्षेत्र के अनुरूप होना चाहिए। वे लोग जो निजी क्षेत्र में काम करते हैं वे प्राथमिक रूप से स्वयं के हित के लिए कार्यरत होते हैं। हम सांसद लोग देश सेवा के लिए कार्यरत होते हैं, यह हमारे सपनों का भारत बनाने का एक मिशन है, इन दो उद्देश्यों की तुलना करना सार्वजनिक जीवन के प्रति प्रतिबद्धता को गलत तरीके से समझना है।

वरुण ने कहा, वेतन के संबंध में मामलों को बार-बार उठाया जाता है, यह मुझे सदन की नैतिक परिधि के बारे में चिंतित करता है। पिछले एक साल में करीब 18,000 किसानों ने आत्महत्या की है। हमारा ध्यान कहां है।

उन्होंने कहा कि कुछ सप्ताह पहले तमिलनाडु के एक किसान ने अपने राज्य के कृषकों की पीड़ा पर क्षोभ प्रकट करते हुए राष्ट्रीय राजधानी में आत्महत्या का प्रयास किया। पिछले महीने इसी राज्य के किसानों ने अपने साथी किसानों की खोपड़ियों के साथ यहां प्रदर्शन भी किया था। इस सबके बावजूद तमिलनाडु की विधानसभा ने गत 19 जुलाई को बेरहमी से असंवेदनशील अधिनियम के माध्यम से अपने विधायकों की तनख्वाह को दोगुना कर लिया।

गौरतलब है कि विभिन्न दलों के सांसद पिछले कुछ समय से अपना वेतन बढ़ाने की मांग करते रहे हैं।

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