तिरुवनंतपुरम: एक अप्रत्याशित घटना के तहत केरल विधानसभा में बीजेपी के एकमात्र विधायक ओ. राजगोपाल ने सदन में उस प्रस्ताव का समर्थन किया, जिसमें विवादित केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग गई है और जिनके खिलाफ दिल्ली की सीमा पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। इसपर बीजेपी के केरल नेतृत्व ने हैरानी जताई है। पार्टी ने हालांकि कहा है कि वह इस इस बारे में बीजेपी विधायक ओ. राजगोपाल से बात करेंगे, लेकिन सूत्रों ने कहा कि राजगोपाल के इस कदम से पार्टी हैरान है। बीजेपी के प्रदेश प्रमुख के. सुरेंद्रन ने मीडिया से कहा, "मैंने राजगोपाल की प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं देखी है, न ही मुझे पता है कि उन्होंने क्या कहा है। मैं उनसे बात करूंगा और आपको बताऊंगा।"
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बीजेपी में कृषि कानूनों पर दो राय के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा, "आप क्या कह रहे हैं? केरल के बीजेपी नेताओं के बीच कृषि कानूनों पर कोई दो राय नहीं है।" बीजेपी के राज्य महासचिव एम.टी. रमेश ने मीडिया को बताया, "राजगोपाल एक वरिष्ठ नेता हैं और मैंने नहीं सोचा था कि वे इस प्रस्ताव का समर्थन करेंगे। उन्होंने पहले कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव लाए जाने के राज्य सरकार के फैसले का विरोध किया था। उसके बाद पता नहीं क्या हुआ। मुझे पता करने दीजिए, फिर मैं आपको बताता हूं।"
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हांलाकि दोनो वरिष्ठ नेताओं ने इस मुद्दे पर सधी प्रतिक्रिया दी, लेकिन पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि पार्टी पूरी तरह से आश्चर्यचकित है। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "पार्टी सचमुच सदमे में है। हमें नहीं पता कि इस स्थिति में क्या करना है। बीजेपी इस मामले में फैसला लेगी।"
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राजगोपाल केंद्र की वाजपेयी सरकार में रेल, रक्षा और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री रह चुके हैं। वह केरल विधानसभा में प्रवेश करने वाले पहले बीजेपी नेता हैं। राजगोपाल ने इससे पहले वामपंथी उम्मीदवार श्रीरामकृष्णन का स्पीकर पद के लिए समर्थन करके एक विवाद खड़ा दिया था। उन्होंने तब कहा था कि उन्होंने अध्यक्ष का समर्थन किया था, क्योंकि उनके नाम में भगवान राम और भगवान श्रीकृष्ण हैं।