शिवमोगा: कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष नलिन कुमार कतील ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर जनता दल (सेक्युलर) के नेता एचडी कुमारस्वामी की टिप्पणी पर बुधवार को तीखी प्रतिक्रिया देते हुए उन्हें शाखा आने और संघ की गतिविधियों के बारे में जानने के लिए आमंत्रित किया। कतील ने कहा, 'कुमारस्वामी संघ की विचारधारा के बारे में नहीं जानते, इसलिए उन्होंने विभिन्न आरोप लगाए हैं। संघ देशभक्ति को बढ़ावा देता है और प्रत्येक व्यक्ति को इस इरादे से शिक्षित करता है कि वह देशहित में योगदान दे।'
‘अच्छा होगा कि कुमारस्वामी किसी शाखा में आएं’
कतील ने कहा कि अच्छा होगा कि कुमारस्वामी किसी शाखा में आएं और संघ की गतिविधियों के बारे में जानें। उन्होंने कहा, 'जब वह (कुमारस्वामी) सत्ता में थे तब सभी नियुक्तियां जाति के आधार पर की गईं थीं। उन्होंने पारिवारिक राजनीति को बढ़ावा दिया और परिवार के लोगों को सत्ता में बिठाया। आप उनसे और क्या उम्मीद कर सकते हैं? यदि संघ द्वारा शिक्षित कोई आईएएस या आईपीएस अधिकारी बन जाता है तो हमें खुशी होती है कि वे देश के लिए और अच्छा करेंगे।' कतील एक किताब का हवाला देते हुए कुमारस्वामी द्वारा दिए गए बयान पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे।
‘RSS ने देश में नौकरशाहों की एक टीम बनाई है’
कुमारस्वामी ने कहा था कि RSS ने अपने 'छिपे हुए एजेंडे' के तहत देश में नौकरशाहों की एक टीम बनाई है, जिन्हें अब विभिन्न संस्थानों में नियुक्त किया गया है। कुमारस्वामी ने मंगलवार को दावा किया, ‘उस किताब में बताया गया है कि इस देश में करीब 4,000 नौकरशाह, IAS और IPS अधिकारी, RSS के कार्यकर्ता हैं। वे सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों को कोचिंग देते हैं। केवल 2016 में उनके द्वारा प्रशिक्षित 676 लोग चयनित हुए।’ उन्होंने यह भी कहा था कि केंद्र और कर्नाटक दोनों में बीजेपी सरकारें RSS के निर्देश पर काम कर रही हैं, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी ‘कठपुतली’ हैं।
‘सभी क्षेत्रों में ‘घुसपैठ’ कर रहा है RSS’
वहीं, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शिक्षा समेत सभी क्षेत्रों में ‘घुसपैठ’ कर रहा है और इस संगठन के विरूद्ध अपनी लंबी लड़ाई की कीमत उन्हें 2019 के संसदीय चुनाव में अपनी लोकसभा सीट गंवाकर चुकानी पड़ी। खड़गे ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘वे सभी जगह घुसपैठ कर रहे हैं, शिक्षा में भी वे आ रहे हैं। कई अधिकारी नियमों में बदलाव कर सीधे भर्ती किए गए हैं तथा बहुतों को आरक्षण से वंचित किया गया है।’ उन्होंने कहा कि वह 15-16 साल की उम्र से ही RSS एवं उसकी विचारधारा के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं और गुलबर्गा सीट से 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी हार के कारणों में एक यह भी था।