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शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर BJP उलझन में, कांग्रेस ने कसा तंज

मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार के दूसरे मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भाजपा के भीतर ही उलझन बढ़ गई है क्योंकि मंत्रियों के संभावित नामों से लेकर विभागों के वितरण को लेकर असहजता बढ़ रही है।

Reported by: IANS
Published : June 30, 2020 16:07 IST
Shivraj Singh Chouhan
Image Source : FILE PHOTO Shivraj Singh Chouhan

भोपाल: मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार के दूसरे मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भाजपा के भीतर ही उलझन बढ़ गई है क्योंकि मंत्रियों के संभावित नामों से लेकर विभागों के वितरण को लेकर असहजता बढ़ रही है। मुख्यमंत्री दो दिन दिल्ली में रहे और तमाम बड़े नेताओं से उनकी चर्चाएं भी हुई, मगर संगठन किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाया है। राज्य में शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बने तीन माह का वक्त गुजर गया है और अब तक सिर्फ पांच मंत्रियों को ही मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सका है। मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार की कोशिशें अरसे से चल रही हैं और यह प्रक्रिया अंतिम दौर में है मगर नामों और विभागों को लेकर शपथ ग्रहण समारोह से पहले ही अंदर खाने खींचतान बढ़ गई।

भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया संभावित मंत्रिमंडल विस्तार में कम से कम छह से सात मंत्री अपनी पसंद के चाहते हैं, वहीं भाजपा सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर आए तत्कालीन 22 विधायकों में से 10 को मंत्री बनाना चाहती है। इनमें से दो गोविंद सिंह राजपूत और तुलसीराम सिलावट पहले ही मंत्री बन चुके हैं, वहीं अन्य नामों में से सिंधिया एंदल सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह और हरदीप सिंह डंग को अपने कोटे से मंत्री बनाने को सहमत नहीं है। सिंधिया पूर्व मंत्री इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, प्रभु राम चौधरी, महेंद्र सिंह सिसोदिया के अलावा राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, रणवीर जाटव और ओ पी एस भदौरिया को मंत्री बनवाना चाहते हैं।

वहीं दल बदल कराते समय शिवराज सिंह चौहान ने बिसाहूलाल सिंह के अलावा हरदीप सिंह डंग को मंत्री बनाने का भरोसा दिलाया था तो दूसरी ओर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा लगातार एंदल सिंह कंसाना की पैरवी करते आ रहे हैं। इन तीनों को मंत्री बनाने का दवाब है। इतना ही नहीं सिंधिया गृह, परिवहन और आबकारी में से एक विभाग इसके अलावा महिला बाल विकास, उच्च शिक्षा, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, जनसंपर्क और ग्रामीण विकास जैसे महत्वपूर्ण विभागों को अपने कोटे के संभावित मंत्रियों को दिलाना चाहते हैं। सिंधिया ने अपनी राय से सोमवार को मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री चौहान को अवगत भी करा दिया है।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि सिंधिया कोटे से दो मंत्री बन चुके हैं वहीं सात मंत्री और बनवाना चाहते हैं इसके अलावा तीन सदस्य अन्य ऐसे हैं जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा आए हैं, इस तरह कुल मिलाकर कांग्रेस छोड़कर आए 12 सदस्यों को मंत्रिमंडल में स्थान देने का दबाव है। इन स्थितियों में भाजपा के हिस्से के मंत्रियों की संख्या कम हो सकती है। भाजपा के लिए समस्या का कारण यह है कि पार्टी में वरिष्ठ और अनुभवी विधायकों की संख्या बहुत ज्यादा है। इस द्वंद्व के चलते मंत्रिमंडल का विस्तार आगे बढ़ जाए तो अचरज नहीं होना चाहिए।

शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार न हो पाने पर प्रदेश कांग्रेस ने तंज कसा है। पार्टी के ट्विटर हैंडिल पर कहा गया है मप्र में फिर टला मंत्रिमंडल विस्तार।

राजनीतिक विष्लेषक रवींद्र व्यास का कहना है, "मंत्रिमंडल का विस्तार भाजपा और शिवराज के लिए एक तरफ कुआं और दूसरी ओर खाई बना हुआ है। जो नेता कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हैं उन्हें संतुष्ट तो करना ही होगा, इस स्थिति में भाजपा में असंतुष्टों के बढ़ने का खतरा बना हुआ है।"

मुख्यमंत्री चौहान दो दिन तक दिल्ली में रहे, मंगलवार की सुबह भोपाल लौट आए हैं। दिल्ली प्रवास के दौरान चौहान की मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर उनकी पार्टी के अध्यक्ष जे पी नड्डा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा हाल ही में भाजपा में आए नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी मुलाकात हुई। उसके बाद भी अभी तक सूची को अंतिम रुप नहीं दिया जा सका है।

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