![BJP can talk to Taliban but not Farmers: Congress slams Modi govt](https://static.indiatv.in/khabar-global/images/new-lazy-big-min.jpg)
नयी दिल्ली: कांग्रेस ने हरियाणा के करनाल में प्रदर्शनकारी किसानों पर पानी की बौछार किये जाने की निंदा करते हुए मंगलवार को कहा कि तालिबान के साथ बातचीत करने वाली नरेंद्र मोदी सरकार देश के किसानों से बातचीत क्यों नहीं कर सकती। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह आग्रह भी किया कि वह किसानों को बातचीत के लिए बुलाएं और तीनों काले कानूनों को निरस्त करने की घोषणा करें।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘केंद्र और हरियणा की भाजपा सरकारें 10 महीने से गांधीवादी तरीके से आंदोलनरत किसानों को जानबूझकर भड़काने, भिड़वाने और लड़वाने की साजिश कर रही हैं। ये साजिश केवल यहीं तक सीमित नहीं है, बल्कि जवानों और किसानों को लड़वाने की भी साजिश है। करनाल में हजारों किसानों पर पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया गया, लेकिन किसानों ने अपना संयम नहीं खोया।’’
सुरजेवाला ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए सवाल किया, ‘‘मोदी जी, आप दोहा (कतर) में तालिबान से बात कर सकते हैं, तो फिर आप दिल्ली की सीमा पर 10 महीने से बैठे अन्नदाताओं से बात क्यों नहीं कर सकते? ये सत्ता का अहंकार किसलिए है?’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘किसान अपनी फसल और अगली नस्ल बचाना चाहता है, लेकिन मोदी जी अपने वित्तपोषक कारोबारियों की तिजोरी भरना चाहते हैं। यह लड़ाई देश बचाने की है ताकि मोदी सरकार ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह देश को गुलाम नहीं बना सके।’’
कांग्रेस महासचिव ने आग्रह किया, ‘‘नरेंद्र मोदी जी, सब कार्य बंद करके देश के किसानों को बातचीत के लिए बुलाएं। खुद बात करें और तीनों काले कानून आज रात ही खत्म करने की घोषणा करें।’’ बता दें कि किसान प्रदर्शनकारियों ने करनाल में मिनी सचिवालय के आसपास घेराव कर लिया है। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, "हमने गेट पर कब्जा कर लिया है। अब हम आराम करना चाहते हैं, बातचीत के लिए टाइम नहीं है। वह बाद में भी हो सकती है।"
करनाल जिला सचिवालय का घेराव करते हुए किसानों ने पक्का मोर्चा जमा लिया है। वहीं खाना, पानी और कपड़े मंगवाए हैं। लंबे संघर्ष की तैयारी है। राकेश टिकैत का कहना है कि न्याय मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा। किसानों का कहना है कि वे करनाल के एसडीएम आयुष सिन्हा की बर्खास्तगी की जगह जांच होने तक उन्हें निलंबित करने की मांग पर आ गए थे लेकिन प्रशासन इस पर भी राजी नहीं हुआ। इसी बात से वे लोग नाराज हो गए और वार्ता टूट गई।
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