नई दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने रविवार को कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), समाजवादी पार्टी (सपा) पर आरोप लगाया कि ये तीनों पार्टियां राजनीतिक लाभ के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में दलित हिंसा को हवा दे रही हैं। प्रसाद ने यहां मीडिया से कहा, "भीमराव आंबेडकर ने कहा था कि दलित आंदोलन हिंसक नहीं होना चाहिए। लेकिन कांग्रेस, सपा, बसपा जैसी कुछ पार्टियां राजनीतिक लाभ के लिए एक सधे अंदाज में दलित हिंसा को हवा दे रही हैं।"
प्रसाद ने कहा कि आंबेडकर के प्रति कांग्रेस का जागा नया प्रेम अवसरवादी है, क्योंकि इस पार्टी ने कभी उनका ख्याल नहीं किया। उन्होंने बसपा पर भी आरोप लगाया कि वह आंबेडकर और एक अन्य दलित नेता कांशी राम की विचारधारा से हट गई है और यह एक परिवार की पार्टी बन गई है, जो दलितों और उनके उद्धार के लिए कुछ नहीं कर रही है।
रविशंकर ने कहा, "आंबेडकर का निधन 1956 में हो गया था, लेकिन कांग्रेस की सरकारों ने उन्हें भारत रत्न देने के बारे में कभी नहीं सोचा। वर्ष 1989 में भाजपा समर्थित वी.पी. सिंह की सरकार ने उन्हें भारत रत्न दिया।" उन्होंने कहा कि विपक्ष का यह आरोप कि मोदी सरकार अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारक) अधिनियम को कमजोर करने की कोशिश कर रही है, बिल्कुल सच नहीं है, क्योंकि भाजपा ने 2014 में सत्ता में आने के बाद इस अधिनियम को मजबूत किया था।
भाजपा नेता ने कहा, "हमने एससी/एसटी कानून को अधिक मजबूत बनाने और इसकी खामियों को दूर करने के लिए इसमें बहुत ही महत्वपूर्ण बदलाव किए।" केंद्रीय कानून मंत्री ने स्पष्ट किया कि सर्वोच्च न्यायालय ने एससी/एसटी कानून के संबंध में हाल में जब आदेश पारित किया, तो इस मामले में केंद्र सरकार न तो पक्ष थी और न उसे जवाबी हलाफनाम दाखिल करने के लिए बुलाया गया था। आदेश में न्यायालय ने प्राथमिक जांच के बगैर एससी/एसटी कानून के तहत किसी आरोपी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।
प्रसाद ने कहा, "सिर्फ महान्याववादी को उनकी राय जानने के लिए बुलाया गया था, क्योंकि मामला एक केंद्रीय कानून से संबंधित था।"
गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने 20 मार्च को कहा था कि एससी/एसटी अधिनियम के तहत किसी आरोपी की गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं है और गिरफ्तारी का कदम प्राथमिक जांच तथा सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बाद ही उठाया जाएगा। प्रसाद ने यह भी कहा कि भाजपा ने ही एक दलित रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनाया।