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विरोध के बावजूद खदान विधेयक राज्यसभा में पारित

नई दिल्ली:कांग्रेस तथा वाम पार्टियों के कड़े विरोध के बावजूद राज्यसभा ने शुक्रवार को खदान व खनिज अधिनियम में संशोधन के लिए विधेयक को पारित कर दिया। इस विधेयक को प्रवर समिति द्वारा मंजूर किए

IANS
Updated on: March 20, 2015 17:54 IST
- India TV Hindi

नई दिल्ली:कांग्रेस तथा वाम पार्टियों के कड़े विरोध के बावजूद राज्यसभा ने शुक्रवार को खदान व खनिज अधिनियम में संशोधन के लिए विधेयक को पारित कर दिया। इस विधेयक को प्रवर समिति द्वारा मंजूर किए गए दो संशोधनों के साथ पारित कर दिया गया और एक बार फिर से मंजूरी के लिए यह विधेयक लोकसभा में जाएगा।

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता पी.राजीव द्वारा लाए गए संशोधन को खारिज कर दिया गया।

इस बीच, जनता दल-युनाइटेड (जद-यू) सदस्य अपने नेता शरद यादव के साथ मतदान के पहले ही सदन के बाहर चले गए। उन्होंने कहा कि वह इस प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनना चाहते।

अन्य पार्टियां तृणमूल कांग्रेस, ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), बीजू जनता दल (बीजद) तथा समाजवादी पार्टी (सपा) ने विधेयक के पत्र में मतदान किया, जिस कारण ऊपरी सदन में यह विधेयक आसानी से पारित हो गया।

विधेयक पर हुई चर्चा के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भूपेंद्र यादव ने कहा कि यह विधेयक खनन में और अधिक पारदर्शिता लाएगा।

उन्होंने कहा, "यह विधेयक खनन कार्यशैली में पारदर्शिता लाएगा, विलंब कम होगा और राज्यों की खनिजों में साझेदारी बढ़ेगी।"

विधेयक का विरोध करते हुए जद-यू के पवन वर्मा ने कहा, "सबसे मूलभूत मांग, राज्यों से विचार-विमर्श को स्वीकार नहीं किया गया। यह विधेयक राज्यों से उसका अधिकार छीन लेगा। इस पर वैधानिक विमर्श की जरूरत है।"

माकपा के तपन कुमार सेन ने कहा, "हमने नीलामी प्रक्रिया का कभी विरोध नहीं किया, लेकिन जिस प्रकार से जल्दबाजी में और राज्यों से विचार-विमर्श के बिना यह विधेयक लाया गया है, हम उसके खिलाफ हैं। यह विधेयक राज्यों का अधिकार छीन रहा है।"

तृणमूल कांग्रेस ने इस विधेयक का समर्थक किया। पार्टी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, "हमने कुछ सुझाव दिए थे, जिसे शामिल कर लिया गया है। नकारात्मक होने की जरूरत नहीं है।"

एआईएडीएमके के ए.नवनीतकृष्णन तथा बसपा के राजाराम ने भी विधेयक का समर्थन किया।

राजाराम ने कहा, "यह विधेयक काफी पहले लाया जाना चाहिए था।"

उन्होंने हालांकि इस पर आश्चर्य जताया कि यह खनन माफिया पर लगाम लगाने में सक्षम साबित होगा।

कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा कि यह विधेयक राज्यों का अधिकार छीनने वाला है।

उन्होंने कहा, "प्रवर समिति पर समय की पाबंदी थी, लेकिन राज्यों के साथ विचार-विमर्श पर तो कोई प्रतिबंध नहीं था।"

अय्यर ने कहा, "राज्यों से कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया। यदि समिति राज्यों से विचार-विमर्श, तो यह विधेयक इस रूप में नहीं होता। हमारे द्वारा एक ऐसे विधेयक को पारित किए जाने की संभावना है, जो संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों का हनन करता है।"

वहीं कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा, "जिस प्रकार से यह सरकार अध्यादेशों से शासन कर रही है और राज्य के अधिकारों का हनन कर रही है, हम उसका विरोध करते हैं।

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