नई दिल्ली: सर्वाधिक विकास दर की दृष्टि से गरीब राज्यों में बिहार का स्थान दूसरा है, लेकिन गरीबी के मामले में यह तीसरे स्थान पर है। बेरोजगारी के मामले में गरीब राज्यों में यह पहले स्थान पर है।
विधानसभा का चुनाव नजदीक आ जाने से बिहार इन दिनों चर्चा में आ गया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यद्यपि बिहार में विकास का दौर लाने के लिए जाना जाता है, लेकिन राज्य अब भी कई मामलों में पीछे है।
सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े आठ राज्यों -बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश- को अधिकार प्राप्त कार्य समूह (ईएजी) के रूप में जाना जाता है। केंद्र सरकार ने 2001 की जनगणना के बाद जनसंख्या वृद्धि रोकने के लिए इन आठ राज्यों में जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत ईएजी का गठन किया है।
बिहार 9.9 फीसदी विकास दर के साथ ईएजी राज्यों में सिर्फ मध्य प्रदेश से पीछे है, जिसकी विकास दर 11 फीसदी है।
बिहार की बेरोजगारी दर हालांकि ईएजी राज्यों में सर्वाधिक है। गरीबी के मामले में भी यह तीसरे स्थान पर है।
राज्य में गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों का अनुपात भी तीसरा सर्वाधिक है। देश में जिस परिवार में प्रति व्यक्ति दैनिक खर्च 26 फीसदी से कम होता है, उसे गरीबी रेखा से नीचे माना जाता है।
बिहार में 31 फीसदी जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे है। इससे अधिक सिर्फ दो राज्यों छत्तीसगढ़ और झारखंड में यह अनुपात क्रमश: 39.9 फीसदी और 36.9 फीसदी है।
2004-05 के आंकड़े के मुताबिक, तब बिहार में गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों का अनुपात 54 फीसदी था।
ताजा आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों की संख्या 3.58 करोड़ है, जो ईएजी राज्यों में उत्तर प्रदेश (5.89 करोड़) के बाद दूसरे स्थान पर है।
2004-05 के बाद गरीबी रेखा से बाहर निकाले गए लोगों की संख्या के मामले में भी राजस्थान और ओडिशा ने बेहतर प्रदर्शन किया है, जिन्होंने क्रमश: 51 फीसदी और 37 फीसदी लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाले।
बिहार ने इस दौरान 26 फीसदी लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाले।
राजमार्ग और शौचालय जैसे मामले में भी बिहार पीछे है।
सड़क : 31 मार्च 2013 के आंकड़े के मुताबिक महाराष्ट्र में 22.9 फीसदी राजमार्ग है।
कर्नाटक में यह 12.3 फीसदी, गुजरात में 10.9 फीसदी, मध्य प्रदेश में 6.5 फीसदी, तमिलनाडु में 6.4 फीसदी। ये सर्वाधिक राजमार्ग वाले राज्य हैं। राजकीय राजमार्ग में इन पांच राज्यों की हिस्सेदारी 59 फीसदी है।
ईएजी राज्यों में 36 फीसदी राजकीय राजमार्ग है, जबकि देश की कुल जनसंख्या में ये 46 फीसदी योगदान करते हैं। बिहार में 4.9 फीसदी राजकीय राजमार्ग है, जबकि यह जनसंख्या में 8.6 फीसदी योगदान करता है।
शौचालय : बिहार के गांवों में 98 फीसदी घरों में शौचालय नहीं है, जो ईएजी राज्यों में सर्वाधिक है।
स्वच्छ भारत अभियान के उपलब्धि संबंधी आंकड़े के मुताबिक, बिहार के गांवों में कुल 1.68 करोड़ घर हैं, जबकि इनमें 1.64 करोड़ घरों में शौचालय नहीं है।