जमुई (बिहार): नक्सल प्रभावित जमुई विधानसभा क्षेत्र में लड़ाई दिलचस्प मानी जा रही है। इस चुनाव में बदले राजनीतिक परिदृश्य में मुख्य मुकाबला भले ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और सत्तारूढ़ महागठबंधन के बीच नजर आ रहा है, लेकिन राजग के उम्मीदवार को परायों का नहीं, अपनों का भय सता रहा है। इस सीट पर बिहार की राजनीति में साथ-साथ चलने वाले दो सूरमा हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के नरेंद्र सिंह और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के स्थानीय सांसद चिराग पासवान यहां साथ होकर भी अलग हैं, ऐसे में यहां मुकाबला दिलचस्प हो गया है।
इस चुनाव में राजग ने भाजपा के टिकट पर जहां पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के पुत्र और निवर्तमान विधायक अजय प्रताप को चुनावी समर में उतारा है, वहीं महागठबंधन ने अपने पुराने चेहरे विजय प्रकाश पर ही विश्वास बनाए रखा।
करीब ढाई लाख मतदाताओं वाले इस विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व तो दिग्गज नेता करते रहे हैं, लेकिन समस्याएं जस की तस हैं। किउल नदी के तटीय इलाके में बसे इस क्षेत्र में किसान आज भी सिंचाई सुविधा से वंचित हैं।
गरही प्रखंड मुख्यालय के रहने वाले मुकेश वर्णवाल ने आईएएनएस से कहा कि नहर में समय से पानी नहीं आता, जबकि शहर में जलजमाव की समस्या जटिल है। बारिश में सभी इलाके में जलजमाव की स्थिति बन जाती है। कई सड़कें खस्ता हालत में हैं। क्षेत्र में 12वीं हाईस्कूलों में शिक्षकों की कमी है।
जमुई के व्यवसायी अनुज कुमार सिन्हा कहते हैं कि शहर के सौंदर्यीकरण के नाम पर लूट हुई, लेकिन इसे किसी ने नहीं देखा। पार्क आधे-अधूरे ही बन पाए।
नरेंद्र सिंह की पुश्तैनी सीट कहे जाने वाले जमुई की राजनीति को पिछले डेढ़ साल से चिराग भी प्रकाशमय कर रहे हैं। शायद यही कारण है कि आज यह सीट चिराग पासवान के प्रभाव और नरेंद्र सिंह की पहचान का प्रश्न बन गया है।
कहा जाता है कि चिराग नहीं चाहते थे कि नरेंद्र सिंह के बेटे को चुनाव में टिकट मिले, लेकिन भाजपा ने अजय को टिकट दे दिया। ऐसे में सांसद चिराग के नजदीकी रहे और लोजपा के प्रदेश महासचिव अनिल सिंह भी यहां निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं। कहा जा रहा है कि लोजपा ने ही जमुई से निर्दलीय उम्मीदवार को खड़ा किया है।
के.एम.के. कॉलेज में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर गौरीशंकर पासवान ने आईएएनएस से कहा कि जमुई नक्सल प्रभावित इलाकों में आता है, बिजली और शिक्षण संस्थानों की कमी यहां सबसे बड़ी समस्या है। उन्होंने कहा कि यादव, राजपूत और मुस्लिम मतदाता बहुल इस क्षेत्र में जातीय समीकरण बराबर हावी रहे हैं। चुनाव परिणामों पर नजर डालें तो यहां मुकाबला हमेशा कांटे का रहा है।
पासवान कहते हैं कि इस चुनाव में अगर राजपूत मतदाताओं के वोट बंटे तो कोई आश्चर्य नहीं। ऐसे में राजग उम्मीदवार को परेशानी हो सकती है।
पिछले चुनाव में जद (यू) के टिकट से चुनाव मैदान में उतरे अजय प्रताप ने राजद के विजय प्रकाश को करीब 24 हजार मतों से हराया था। इस चुनाव में एक बार फिर ये दोनों नेता आमने-सामने हैं।
पिछले 25 सालों के जमुई के राजनीति पर नजर डालें तो 15 सालों तक नरेंद्र सिंह और उनके परिवार का ही कब्जा रहा है। 2000 में नरेंद्र सिंह के चुनाव जीतने के बाद उनके दोनों बेटे अभय सिंह और अजय प्रताप सिंह भी पिता की सीट पर जीत का परचम लहराते रहे हैं। इस सीट से फरवरी 2005 में हुए चुनाव में राजद विजयी हुआ था।
जमुई के वरिष्ठ पत्रकार मुरली दीक्षित ने आईएएनएस को बताया कि जमुई का इलाका नरेंद्र सिंह की पहचान के तौर पर जाना जाता है। कभी नीतीश मंत्रिपरिषद के सदस्य रहे सिंह के दो बेटे भी अपने पिता की राजनीतिक विरासत को इसी इलाके से आगे बढ़ा रहे हैं। इलाके में अगर राजपूत मतदाताओं का प्रभाव है तो यादव और पिछड़े भी परिणाम को प्रभावित करने के कारण माने जाते हैं।
वह कहते हैं कि इस सीट पर कुल 16 प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे हैं, जिसमें तीन राजपूत और दो यादव समुदाय से आते हैं। ऐसे में चिराग भी अपने हितैषी अनिल को जीत दिलाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते।
बहरहाल, जमुई के चुनावी चेहरे भले ही नरेंद्र सिंह के बेटे अजय और लोजपा के अनिल सिंह को माना जा रहा है, लेकिन असल लड़ाई मौजूदा सांसद चिराग पासवान और नरेंद्र सिंह के बीच मानी जा रही है। इस लड़ाई को महागठबंधन के प्रत्याशी विजय प्रकाश त्रिकोणात्मक बना रहे हैं। जमुई विधानसभा क्षेत्र में 12 अक्टूबर को मतदान होना है।
बिहार विधानसभा की 243 सीटों के लिए 12 अक्टूबर से पांच नवंबर के बीच पांच चरणों में मतदान होना है। मतों की गिनती आठ नवंबर को होगी।