नई दिल्ली: बिहार की नीतीश कुमार सरकार मंगलवार को विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान गिरते-गिरते बच गई। दरअसल सहकारिता विभाग की ओर से मांग बजट प्रस्तुत किए जाने के दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच अचानक शक्ति परीक्षण का मौका आ गया। इस पर बहस के बाद विपक्ष की ओर से कटौती प्रस्ताव लाया गया। यह कटौती प्रस्ताव राजद नेता व पूर्व वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी की ओर से लाया गया था।
नीतीश सरकार कटौती प्रस्ताव स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थी। ऐसे में सदन के समक्ष मतदान के अलावा कोई रास्ता नहीं था। जिस समय सदन में यह कार्यवाही चल रही थी, उस समय विधायकों की संख्या कुछ कम दिख रही थी। मत विभाजन की नौबत आते ही सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं में बेचैनी दिखने लगी क्योंकि बताया जा रहा है कि 9 जुलाई को इंग्लैंड में वर्ल्ड कप क्रिकेट का सेमीफाइनल मुकाबला भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेला जा रहा था और इसी को देखने के लिए बहुत सारे विधायक सदन में उपस्थित नहीं थे।
कुछ नेता विधायकों को फोन लगाते दिखे। आसन से मत विभाजन का संकेत हो गया और सदन में उपस्थित विधायकों ने मतदान किया। प्रस्ताव के पक्ष में 85 मत पड़े वहीं विरोध में 52 मत। इस प्रकार 33 मत से सहकारिता विभाग का मांग प्रस्ताव सदन से पारित हो गया। इस प्रकार राज्य सरकार शक्ति परीक्षण में पास हो गयी। अगर यह प्रस्ताव गिर जाता तो सरकार के लिए नैतिक संकट हो जाता और इस्तीफा देना पड़ता।
अचानक आयी इस स्थिति ने सत्तारूढ़ गठबंधन को बहुत बड़ा सबक दे दिया। बिहार विधानसभा में फिलहाल सत्तारूढ एनडीए को 132 विधायकों का समर्थन है। वहीं विपक्ष में 109 विधायक हैं। इस प्रकार एनडीए के 47 विधायक सदन में उपस्थित नहीं थे। वहीं विपक्ष के भी 57 विधायक मतदान के समय सदन से अनुपस्थित थे।