नई दिल्ली: बिहार में हर पल बदलते सियासी समीकरण के बीच शुक्रवार से विधानसभा सत्र शुरू होने जा रहा है। वहीं बुधवार को होने वाली जदयू और राजद की बैठकें भी बेहद अहम मानी जा रही है जिसमें तेजस्वी यादव के भविष्य पर फैसला होगा। सूत्रों का कहना है कि विधानसभा सत्र से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को हटाने का दबाव बनाएंगे। ये भी पढ़ें: दलालों के चक्कर में न पड़ें 60 रुपए में बन जाता है ड्राइविंग लाइसेंस
जेडीयू ने फिर अपनी मांग दोहराते हुए कहा है कि 27 जुलाई से पहले तेजस्वी यादव सामने आकर या तो अपने केस के बारे में बिन्दुवार सफाई दें या उन्हें बिहार सरकार से इस्तीफा दे देना चाहिए। जेडीयू का कहना है कि अगर दोनों नहीं हुआ तो नीतीश खुद भी इस्तीफा देने को तैयार हैं। नीतीश कुमार साफ तौर पर बता देना चाहते हैं कि भ्रष्टाचार के नाम पर उनकी सरकार की छवि बिगड़ने नहीं दी जाएगी।
इसी मामले को लेकर तीनों पार्टियों ने अपने-अपने विधायक दल की बैठक बुलाई, लेकिन महागठबंधन विधायक दल की मीटिंग को लेकर अभी कुछ भी नहीं कहा जा रहा है। इधर दबाव, लालू परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप और सीबीआई की एफआईआर के बाद डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर इस्तीफे का दवाब बढ़ता जा रहा है। उधर दबाव मुक्त, नीतीश कुमार ने मंगलवार को दिल्ली में कहा कि गठबंधन चलाना सामूहिक (आरजेडी, कांग्रेस और जेडीयू की) जिम्मेदारी है। उनकी सरकार को किसी प्रकार का खतरा नहीं है।
इस बीच बिहार के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी भी दिल्ली से पटना पहुंच गए हैं। यदि सियासी संकट के बीच तेजस्वी यादव इस्तीफा देते हैं या फिर उन्हें बर्खास्त किया जाता है तो फिर राज्यपाल की भूमिका बेहद अहम होगी। इसकी भी चर्चा है कि तेजस्वी को बर्खास्त करने की स्थिति में राजद अपना समर्थऩ नीतीश सरकार से वापस ले ले। और फिर अल्पमत सरकार को भाजपा का समर्थन मिल जाए।
इधर, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर बुधवार को राजद विधायक मंडल दल की बैठक है। दोपहर 12 बजे शुरू होने वाली मीटिंग में भाग लेने के लिए तेजस्वी यादव दिल्ली से पटना लौट आए हैं। इस मीटिंग में राजद के सभी विधायकों ओर एमएलसी को उपस्थित रहने की हिदायत दी गई है।
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